आखिर कब शुरू होंगे मेडिकल कालेज!
राज्य ब्यूरो, देहरादून प्रदेश में चिकित्सकों की कमी से जूझ रही सरकार के मेडिकल कालेजों के निर्माण
राज्य ब्यूरो, देहरादून
प्रदेश में चिकित्सकों की कमी से जूझ रही सरकार के मेडिकल कालेजों के निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्यदायी संस्थाओं की सुस्ती भारी पड़ रही है। संस्थाएं पल्ले में पड़ी धनराशि सात-आठ माह बाद भी इस्तेमाल नहीं कर पाई। इस वजह से दून मेडिकल कालेज में अगले सत्र से एमबीबीएस की पढ़ाई का सपना चूर हो चुका है। वहीं अल्मोड़ा में सरकारी मेडिकल कालेज के निर्माण में तेजी लाने की सख्त हिदायत कार्यदायी संस्था को दी गई है।
प्रदेश सरकार ने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के रूप में दून मेडिकल कालेज और अल्मोड़ा मेडिकल कालेज का काम शुरू तो किया, लेकिन कालेज भवनों के निर्माण के कामकाज में लेटलतीफी का आलम यह है कि एमसीआइ की टीम लगातार दूसरे साल दून मेडिकल कालेज के निर्माण कार्यो पर संतोष जाहिर नहीं कर सकी। बीते वर्ष भी निर्माण कार्यो की धीमी गति एमसीआइ से मान्यता मिलने में बाधक बनी थी। दून मेडिकल कालेज के निर्माण कार्यो के लिए सरकार अब तक 68 करोड़ की धनराशि जारी कर चुकी है। इसमें पहले वर्ष 2011-12 में दी गई आठ करोड़ की धनराशि का अनाहरण प्रमाणपत्र देने में ही कार्यदायी एजेंसी उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने दो साल से ज्यादा वक्त लिया। कार्यदायी संस्था की ओर से छोटी निर्माण एजेंसियों को काम देने में ही तकरीबन सात माह से ज्यादा का वक्त जाया कर दिया। निगम और महकमे में तालमेल की कमी के चलते वर्ष 2012-13 में कालेज के लिए धनराशि जारी नहीं हो पाई। 40 करोड़ की धनराशि पीएलए में ही फंसकर रह गई। वर्ष 2013-14 में कालेज को 40 करोड़ की धनराशि दी गई। इसमें 10 करोड़ अस्पताल और 30 करोड़ कालेज के लिए दिए गए। हाल ही में सरकार की ओर से 10 करोड़ की धनराशि आपरेशन थियेटर और इमरजेंसी के लिए जारी की गई है। वहीं 10 करोड़ की राशि ओपीडी निर्माण के लिए दी गई है। कार्यदायी संस्था अब तक तकरीबन 10 करोड़ से ज्यादा धनराशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं करा पाई है।
कमोबेश यही हाल अल्मोड़ा मेडिकल कालेज का है। इस कालेज के लिए सरकार अब तक 46 करोड़ की धनराशि जारी कर चुकी है। इसके बावजूद कालेज के निर्माण कार्य गति पकड़ने को तरस गए। नतीजतन मुख्यमंत्री हरीश रावत को अल्मोड़ा मेडिकल कालेज के निर्माण में तेजी लाने के लिए राजकीय निर्माण निगम के महाप्रबंधक को दस दिन की मोहलत देनी पड़ी। चिकित्सा शिक्षा सचिव आरके सुधांशु के मुताबिक कार्यदायी संस्थाओं को निर्माण कार्य समय पर पूरा करने की सख्त हिदायत दी गई है, ताकि मेडिकल कालेजों में जल्द एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो सके।