वाणिज्य कर में दो करोड़ का फर्जीवाड़ा
सुमन सेमवाल, देहरादून: वाणिज्य कर विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से अब तक के सबसे बड़े कर फर्जीवाड़े
सुमन सेमवाल, देहरादून: वाणिज्य कर विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से अब तक के सबसे बड़े कर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। विभाग में 100 से अधिक फर्जी बैंक चालान दाखिल कर दो करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगा दिया गया। हैरानी की बात यह कि चालान सत्यापन की त्वरित प्रक्रिया के बावजूद यह मामला करीब एक साल बाद पकड़ में आया। इस बीच, आधा दर्जन से ज्यादा फर्मा ने फर्जी चालान के जरिये माल भी मंगा लिया।
प्रदेश के वाणिज्य कर आयुक्त दिलीप जावलकर के मुताबिक फर्जी चालान तैयार करने में आधा दर्जन से अधिक फर्मों के नाम सामने आए हैं। एक साल के भीतर (वित्तीय वर्ष 2014-15) इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। सभी फर्मे ईंट के कारोबार से जुड़ी हैं और दून में पंजीकृत हैं। इन फर्मो ने न सिर्फ फर्जी चालान फार्म का इस्तेमाल किया, बल्कि पीएनबी तिलक रोड, आइडीबीआइ राजपुर रोड की फर्जी मुहरें भी तैयार की और इनका इस्तेमाल कर इस घपले को अंजाम दिया।
नियमत: चालान से टैक्स जमा कराते समय बैंक एक-दो दिन के भीतर उसकी प्रति वाणिज्य कर विभाग व कोषागार को भेज देते हैं। ट्रेजरी से भी यह सूचना विभाग को भेजी जाती है। इतना ही नहीं, विभाग में डेली कलेक्शन रजिस्टर (डीसीआर) में भी यह प्रविष्टि दर्ज की जाती है। अधिकारी अगर फर्माें की तरफ से दाखिल चालान की तस्दीक अपने स्तर पर कराती तो मामले से पर्दा तभी उठ जाता। लेकिन, माल मंगा लेने और विभाग को चूना लग जाने के बाद यह मामला अधिकारियों की पकड़ में आ पाया। उन्होंने इस गोलमाल में अधिकारियों की भूमिका होने से भी इन्कार नहीं किया।
इन फर्मों ने दाखिल कराए फर्जी चालान
वाणिज्य कर आयुक्त दिलीप जावलकर ने बताया कि अभी तक की जांच में फर्जी चालान जमा कराने वाली फर्माें में एआर इंटरप्राइजेज, सांई ट्रेडर्स, ओम इंटरप्राइजेज, महादेव ट्रेडर्स, सूर्य ट्रेडर्स, बत्र्वाल ट्रेडर्स, कमल ट्रेडर्स, बालाजी ट्रेडर्स, दून ट्रेडर्स के नाम सामने आए हैं।
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'यह मामला सिर्फ वाणिज्य कर चोरी से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि फर्जीवाड़े में गंभीर आपराधिक कृत्य भी किए गए हैं। पिछले दो साल के भीतर दाखिल सभी चालानों की जांच की जा रही है। एक प्रकरण में बुधवार को रिपोर्ट दर्ज करा दी गई, कुछ और के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।'
-दिलीप जावलकर, आयुक्त कर