ट्रिब्यूनल के आदेश ने बढ़ाई मुश्किल
राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड के शहरी निकायों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की बदहाल स्थिति ने एक बा
राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड के शहरी निकायों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की बदहाल स्थिति ने एक बार फिर प्रदेश सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खासतौर पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उस आदेश ने, जिसमें राज्य सरकार को प्रदेश के सभी शहरी निकायों के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की कार्ययोजना तैयार करके पांच फरवरी तक ट्रिब्यूनल में प्रस्तुत करने को कहा गया है। ट्रिब्यूनल के इस आदेश से शहरी विकास विभाग के हाथ-पांव फूलते नजर आ रहे हैं।
केंद्रीय वित्त पोषित जवाहरलाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन के तहत उत्तराखंड के तीन शहरों देहरादून, हरिद्वार व नैनीताल में इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना प्रारंभ की गई थी। सबसे पहले 2008 में देहरादून में इस पर काम शुरू हुआ। इसके तहत दूनवैली वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लि. नामक कंपनी को घर घर से कूड़ा उठान का काम सौंपा गया। कूड़ा उठान का काम आधे-अधूरे ढंग से चल रहा है, मगर ट्रेंचिंग ग्राउंड के लिए भूमि उपलब्ध न होने की वजह से कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण नहीं हो पा रहा।
साथ ही, कंपोस्टिंग प्लांट व वैज्ञानिक ढंग से कूड़ा निस्तारण का काम नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से लगी रोक की वजह से लटका है। हरिद्वार व नैनीताल में भी इस योजना में अपेक्षित काम नहीं हो सका है। प्रदेश में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की खराब हालत एक बार फिर राज्य सरकार के लिए मुश्किल का सबब बन रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार को प्रदेश के सभी शहरी निकायों के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की कार्ययोजना तैयार कर पांच फरवरी तक प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। ट्रिब्यूनल द्वारा दी गई तिथि नजदीक आते ही शासन आदेश का जवाब तैयार करने में जुटा है।