70 हजार हेक्टयर घटा खेती का रकबा
-कृषि क्षेत्र कम होने के बावजूद उत्पादन में कमी नहीं आने से फौरी राहत -पर्वतीय जिलों में दलहन और म
-कृषि क्षेत्र कम होने के बावजूद उत्पादन में कमी नहीं आने से फौरी राहत
-पर्वतीय जिलों में दलहन और मोटा अनाज उत्पादन बढ़ाने पर जोर
-उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ में स्थापित होंगी तराई एवं बीज विकास निगम इकाइयां
राज्य ब्यूरो, देहरादून
उत्तराखंड में राज्य बनने के बाद से अब तक खेती का रकबा 70 हजार हेक्टेयर घट गया है। राहत की बात यह है कि कृषि क्षेत्र कम होने के बावजूद अभी उत्पादन में कमी का संकट खड़ा नहीं हुआ। अलबत्ता, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत राज्य ने अब दलहन और मोटा अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने को हाथ-पांव मारने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए पर्वतीय जिलों में खेती का रकबा बढ़ाया जाएगा। साथ ही उक्त फसलों का विपणन सरस विपणन केंद्रों के माध्यम से करने के निर्देश मुख्य सचिव एन रविशंकर ने दिए हैं।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवालय में सोमवार को हुई खाद्य सुरक्षा मिशन की राज्य कार्यकारी समिति की बैठक में चावल, गेहूं, मोटा अनाज, दलहन एवं वाणिज्यिक फसलों का उत्पादन बढ़ाने की रणनीति पर मंथन हुआ। मिशन के तहत राज्य को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता के स्तर को बनाए रखना है। इसके लिए कृषि का क्षेत्रफल घटने के कारणों पर मंथन किया गया। मुख्य सचिव ने कृषि क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए जरूरी उपाय करने के निर्देश दिए। खासतौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों के पलायन से खाली पड़े खेतों के लिए भी विस्तृत कार्ययोजना बनाने का निर्णय हुआ। इससे पलायन पर रोक लगने के साथ ही मोटे अनाज और दलहन उत्पादन के क्षेत्र को बढ़ाया जा सकेगा।
बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में कृषि निदेशक सीएस मेहरा ने बताया कि प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन और पोषक तत्वों की कमी पूरा करने की अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में उन्नत प्रजाति के बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। उत्तराखंड तराई एवं बीज विकास निगम की इकाइयां उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ में स्थापित करने पर सहमति बनी। मुख्य सचिव ने फसल उत्पादन बढ़ाने के साथ सुरक्षित भंडारण के लिए ग्रामीण भंडारण योजना के तहत केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि मिशन के तहत चावल के लिए 4.23 करोड़, गेहूं के लिए 10.56 करोड़, मोटा अनाज के लिए 1.38 करोड़ और वाणिज्यिक फसलों के लिए 20.80 लाख की कार्ययोजना को मंजूरी दी गई।