धरती को स्वर देते हैं लोकगायक: रावत
जागरण संवाददाता, देहरादून: लोकगायक उत्तराखंड की धरती को न केवल स्वर प्रदान करते हैं, बल्कि स्वर की र
जागरण संवाददाता, देहरादून: लोकगायक उत्तराखंड की धरती को न केवल स्वर प्रदान करते हैं, बल्कि स्वर की रचना भी करते हैं। वे संस्कृति एवं परंपराओं की रक्षा के लिए तत्पर हैं। ऐसे में हमारा भी दायित्व बनता है कि उत्तराखंड के लिए, अपनी इस माटी की विशेषता की रक्षा के लिए पूरे मनोयोग से जुटने का संकल्प लें।
यह उद्गार मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दैनिक जागरण के 'उत्तराखंड स्वरोत्सव-2014' के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किए। लोक के संवाहकों का अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जागरण ने लोक को संवारने के लिए इस उत्सव का आयोजन कर वर्ष के अंत को सुंदर बना दिया है। इस अभिनव प्रयोग के लिए जागरण की जितनी सराहना की जाए, वह कम ही होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि जागरण के प्रयासों से लोक को संवारने का ऐसा मौका बार-बार मिलता रहेगा।
इस मौके पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री दिनेश धनै ने भी स्वरोत्सव को अनूठी पहल बताया। उन्होंने कहा कि लोक को संवारना हम सबकी जिम्मेदारी है और ऐसे प्रयासों में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने लोक का मान बढ़ाने के लिए सभी कलाप्रेमियों का आभार व्यक्त किया।