ज्ञान बांटने का यह भी एक तरीका
सुकांत ममगाई, देहरादून: ज्ञान न कोई निश्चित दायरा है और न इसे चाहरदीवारी में कैद किया जा सकता है।
सुकांत ममगाई, देहरादून:
ज्ञान न कोई निश्चित दायरा है और न इसे चाहरदीवारी में कैद किया जा सकता है। ज्ञान के प्रसार की भी तय विधा नहीं है। यह गुरु पर निर्भर है कि वह परम्परागत या गैर परम्परागत, किस माध्यम का इस्तेमाल करता है। डीएवी पीजी कॉलेज के एक प्राध्यापक ने अपनी अनूठी पहल से क्लास की बंदिश तोड़ दी है। उनका ज्ञान अब कुछ छात्रों तक सीमित नहीं, बल्कि इसका दायरा असीमित हो गया है।
डीएवी में भूगोल के प्राध्यापक डॉ. डीके शाही ने स्वयं में एक पहल करते हुए अपने लेक्चर ऑनलाइन किए हैं। जिससे अब कॉलेज ही नहीं, बाहर के कई छात्र भी उनके लेक्चर का लाभ उठा रहे हैं। वह लेक्चर काफी समय से व्यक्तिगत रूप से इंटरनेट के जरिए फेसबुक और ब्लॉग पर पब्लिश करते आ रहे हैं। पहले यह लेक्चर टेक्स्ट फॉर्मेट में होते थे, लेकिन डॉ. शाही ने अब नया प्रयोग किया है। उन्होंने लेक्चर ऑडियो विडियो फॉर्मेट में तैयार किए। फिर आईआईटी मद्रास द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर की मदद से भाषा को सरल और प्रभावी बनाया। इसकी पहल उन्होंने रिसर्च मैथडोलॉजी पर पासलेट लेक्चर तैयार कर की। उनकी इसके बाद अब कॉलेज के अन्य विभाग भी अपने लेक्चर ऑनलाइन करने की तैयारी कर रहे हैं। जिसका फायदा कॉलेज के छात्रों को तो होगा ही, कॉलेज की चाहरदीवारी के बाहर भी ज्ञान का प्रसार होगा।
डॉ. शाही बताते हैं कि उनके ऑनलाइन पब्लिश लेक्चर का फायदा केवल राज्य ही नहीं, बल्कि दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू और इलाहबाद विवि जैसे नामी विश्वविद्यालय के छात्र उठा रहे हैं। अभी तक टेक्स्ट फॉर्मेट में होने के कारण इन लेक्चर को ब्लॉग और फेसबुक पेज पर ही शेयर किया जाता था, लेकिन ऑडियो विडियो फॉर्मेट में लेक्चर होने से छात्र अब यू-ट्यूब के जरिए भी इन लेक्चर को सुन व समझ सकते हैं। दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में भी यह एक अनुभव प्रयोग है।