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एक पहल ने दे दी जीवन को दिशा

अनिल उपाध्याय, देहरादून: नन्हें कदमों से पृथ्वी को नापना और छोटी-छोटी आंखों में पूरा आसमान समा लेना

By Edited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 07:27 PM (IST)
एक पहल ने दे दी जीवन को दिशा

अनिल उपाध्याय, देहरादून: नन्हें कदमों से पृथ्वी को नापना और छोटी-छोटी आंखों में पूरा आसमान समा लेना आसान नहीं, लेकिन अगर हौसला और भरोसेमंद मार्गदर्शक का साथ हो तो यह नामुमकिन भी नहीं। यही सोच और सपना लेकर उत्तराखंड के तत्कालीन राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल ने 2005 में एक ऐसे स्कूल की नींव रखी जो आज हजारों परिवारों के सुनहरे भविष्य का गवाह बन रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं के लिए स्थापित 'हिम ज्योति स्कूल' ने उन तमाम छोटी-छोटी आंखों को खुला आसमान समेटने की ताकत दी, जो एक दिए की रोशनी को तरसती थीं।

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राजधानी देहरादून के सहस्त्रधारा रोड पर गुजराड़ा गांव के पास 2005 में राज्य के राज्यपाल रहते हुए सुदर्शन अग्रवाल ने हिम ज्योति स्कूल की शुरुआत की। उन्होंने एक पहल की और तमाम राजनीतिक और नौकरशाही से जुड़े लोगों को संदेश दिया कि अच्छे उद्देश्य के लिए किसी भी पद पर रहते हुए काम किया जा सकता है। उनकी दूरगामी सोच और सकारात्मक समझ का नतीजा आज सामने है। स्कूल से तीन बैच में 54 छात्राएं 12वीं की परीक्षा पास कर देश-विदेश के नामचीन विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। ये सभी छात्राएं रिक्शा चालक, मजदूर, स्कूल के चपरासी, जिल्दसाज, आया, धोबी, दर्जी आदि की बेटियां हैं।

नि:शुल्क शिक्षा, खाना और रहने की सुविधा देने वाले हिम ज्योति स्कूल में प्रवेश का एकमात्र आधार आर्थिक है। यहां किसी भी जाति, धर्म और परिवार के बच्चियां प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश पा सकती हैं, बशर्ते वे आर्थिक रूप से कमजोर हों। हिम ज्योति उन आंखों की ज्योति बनकर सामने आया है, जिन्होंने सपने तक देखने छोड़ दिए थे। मौजूदा वक्त में स्कूल में कक्षा पांच से 12वीं तक 267 छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। छात्राओं की मानें तो यह केवल स्कूल नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला सीखने का केंद्र हैं। यहां विश्वास, सच्चाई और प्यार की भाषा यहां सिखाई जाती है।

अकादमिक स्तर की बात करें तो हिम ज्योति स्कूल में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) पाठ्यक्रम लागू है और छात्राओं को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है। हालांकि, स्कूल में आने वाली तमाम छात्राएं सरकारी स्कूलों से होती हैं और अंग्रेजी पर उनकी पकड़ काफी कमजोर होती है, इसलिए शुरुआती वर्षो में शिक्षकों का फोकस इस पर रहता है। छात्राओं को आधुनिकतम तकनीकों के माध्यम से अंग्रेजी बोलना, पढ़ना और लिखना सिखाया जाता है।

हिम ज्योति में जिंदगी

हिम ज्योति स्कूल में छात्राओं की सुबह योगा के साथ होती है। इसके बाद कक्षाएं, खेल, अगले दिन की तैयारी, टीवी पर समाचार और अंत में बिस्तर पर ही ध्यान के बाद सोना। इस व्यस्ततम कार्यक्रम के बावजूद छात्राओं को मनोरंजन के लिए भी भरपूर वक्त दिया जाता है। सप्ताहंत में स्कूल से बाहर भ्रमण, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक फिल्मों, वृत्त चित्र दिखाए जाते हैं। इनके अलावा कंप्यूटर गेम, शतरंज, लूडो, संगीत आदि की भी व्यवस्था छात्राओं के लिए है।

खास उपलब्धियां

-स्कूल की छात्रा विनीता पांडेय ने प्रख्यात द दून स्कूल, वेल्हम ग‌र्ल्स स्कूल देहरादून, वसंत वैली स्कूल और श्रीराम स्कूल दिल्ली के प्रतिभागियों को मात देते हुए 2012 में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित यूथ लीडर ट्राफी कब्जाई।

-विनीता इसके साथ ही अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में एक सप्ताह के समर कैंप में भाग ले चुकी हैं।

-स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत स्कूल की तीन छात्राएं और एक शिक्षक आयरलैंड के बेलफास्ट स्थित विक्टोरिया कॉलेज में और वहां की छात्राएं हिम ज्योति स्कूल में रह चुके हैं।

-हिम ज्योति स्कूल से पास होकर जा चुकी 54 छात्राओं में से पांच लेडी श्रीराम कॉलेज, दो आईपी कॉलेज दिल्ली, 16 राजकीय महिला महाविद्यालय चंडीगढ़ और कई देहरादून और नैनीताल के विभिन्न कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त कर रही हैं।

-इनमें से दो छात्राएं एशियन यूनिवर्सिटी फॉर वुमेन, चिंट्टगोंग (बांग्लादेश) में पढ़ रही हैं। विश्वविद्यालय ने छात्राओं की फीस भी माफ की है।

-इनमें से एक छात्रा शालिनी राही का चयन जून 2014 में आस्ट्रेलिया में आयोजित रोटरी यूथ लीडरशिप अवार्ड के लिए भी किया गया।

-स्कूल की छात्राओं द्वारा तैयार किए गए नृत्य नाटक 'द गंगा' का मंचन छात्राएं देहरादून और दिल्ली में किया जा चुका है।

-खेलों में भी छात्राएं शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। विभिन्न प्रतियोगिताओं में गोल्ड और सिल्वर मेडल छात्राएं प्राप्त कर चुकी हैं।

स्कूल का उद्देश्य ऐसी मेधावी छात्राओं को सुविधा प्रदान करना है, जिनका परिवार चाहते हुए भी उन्हें वे सुविधाएं नहीं दे पा रहा है। हर कक्षा में 35 छात्राओं को प्रवेश दिया जाता है। स्कूल का उद्देश्य छात्राओं को बहुलतावादी, रचनात्मक, अन्योन्याश्रित (इंटर डिपेंडेंट) और समर्थ नागरिक के रूप में तैयार करता है ताकि वे हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

राकेश ओबराय, ट्रस्टी, हिम ज्योति फाउंडेशन


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