-ऊर्जा निगम की लापरवाही से करोड़ों का चूना
-वर्ष 2008 से 2013 तक उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों से 473.78 करोड़ नहीं वसूले -स्पाट बिलिंग मामल
-वर्ष 2008 से 2013 तक उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों से 473.78 करोड़ नहीं वसूले
-स्पाट बिलिंग मामलों का निस्तारण न होने से 196.07 करोड़ की राजस्व हानि
-उचित क्षमता के विद्युत चालक का उपयोग नहीं करने से ऊर्जा निगम को 3.88 करोड़ का नुकसान
-विद्युत बिलों के विलंब भुगतान के कारण 178.82 करोड़ के विद्युत भार और 217.39 करोड़ के विलंब भुगतान अधिभार की राशि की वसूली नहीं
-147 बड़े और भारी उपभोक्ताओं से अतिरिक्त प्रतिभूति के रूप में 17.04 करोड़ की वसूली नहीं हुई
-वसूली प्रमाणपत्रों का अनुश्रवण नहीं होने से 2539 दोषी उपभोक्ताओं से 45.51 करोड़ की प्राप्ति में अड़ंगा
राज्य ब्यूरो, देहरादून
ऊर्जा निगम की लापरवाही से प्रदेश को हर साल करोड़ों रुपये का चूना लग रहा है। उपभोक्ताओं से वसूली, मामलों का निस्तारण और बिलों के देरी से वितरण समेत तमाम स्तरों पर ढुलमुल रवैया तो राजस्व वसूली में बाधक है ही, लाइन लॉस और बगैर दीर्घकालिक नीति के ऊर्जा की अनियमित खरीद ने हालत और बिगाड़ कर रख दिए हैं।
13 जिलों के 16.30 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को बिजली मुहैया करा रहा ऊर्जा निगम कार्यप्रणाली में खामियां दुरुस्त नहीं कर पा रहा है। सीएजी की रिपोर्ट में विभिन्न स्तरों पर खामियों का खुलासा हुआ है। लाइन लास के चलते 2008 से 2013 की अवधि में निगम को 478.78 करोड़ की हानि उठानी पड़ी है। आपूर्ति की गई बिजली की मीटरिंग और बिलिंग में भी लापरवाही सामने आई है। लंबे अरसे से बिलों का भुगतान नहीं करने वालों को भी निगम बिजली की आपूर्ति कर रहा है। 17 हजार उपभोक्ताओं को सही खपत के बजाए मूल्यांकन आधार पर बिजली बिल दिए गए, लेकिन इनमें 298 उपभोक्ताओं ने बिल जमा नहीं कराए। मार्च, 2013 तक उक्त उपभोक्ताओं पर बकाया 196.07 करोड़ हो गया।
वहीं अल्पकालिक बिजली खरीद 2009-10 में 138.92 मिलियन यूनिट से बढ़कर 2012-13 में 1696.08 मिलियन यूनिट हो गई। वहीं विद्युत कटौती में भी बेहद इजाफा हुआ। कैग ने इससे आर्थिक वृद्धि में रुकावट का भी उल्लेख किया है।