एनजीओ पर दरियादिली में लुटाए करोड़ों
विकास धूलिया, देहरादून सूबे में संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में पिछले कुछ वर्षो के दौ
विकास धूलिया, देहरादून
सूबे में संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में पिछले कुछ वर्षो के दौरान भारी अनियमितताएं पाई गई हैं। मिशन के मानकों को दरकिनार करते हुए गैर सरकारी संगठनों को पांच वर्ष के दौरान 34 करोड़ से ज्यादा धनराशि अवमुक्त कर दी गई।
सूबे के स्वास्थ्य महकमे की कार्यशैली को आइना दिखाती इन अनियमितताओं का खुलासा हुआ है भारत के नियंत्रक-महा लेखापरीक्षक की रिपोर्ट में, जो गुरुवार को विधानसभा में पेश की गई। यह लेखा परीक्षा 2008-09 से 2012-13 की अवधि के लिए की गई। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन गतिविधियों के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार राज्य व जिला स्तर पर अनुमोदित स्वास्थ्य कार्ययोजना के मुताबिक स्वास्थ्य गतिविधियों, मसलन सचल चिकित्सा वाहनों का संचालन, जिला आशा केंद्र आदि के लिए गैर सरकारी संगठनों को कुल उपलब्ध धनराशि का पांच प्रतिशत निर्गत किया जा सकता है।
इसके उलट मिशन के दिशा निर्देशों के इस प्रावधान का उल्लंघन करते हुए लेखा परीक्षा की उक्त पांच वर्ष की अवधि के दौरान विभिन्न गैर सरकारी संगठनों को 34.16 करोड़ की धनराशि मानकों से ज्यादा निर्गत कर दी गई। अनुदान तीन से सात प्रतिशत (4.58 करोड़ से 8.14 करोड़ रुपये) अधिक जारी किया गया। यहां तक कि गैर सरकारी संगठनों के पास वर्ष 2012-13 के लिए कुल अवमुक्त निधि 17.97 करोड़ रुपये में से 21 प्रतिशत(3.82 करोड़ रुपये) खर्च नहीं हो पाया। हालांकि मिशन निदेशक ने गैर सरकारी संगठनों को अनुदान को नियमानुसार बताया मगर कैग ने इसे अस्वीकार कर दिया।
इनसेट
108 पर 11 करोड़ की कृपा,
स्वास्थ्य महकमे ने 108 आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवा पर विशेष कृपा दिखाई और पांच वर्षो के दौरान इसे 11 करोड़ से ज्यादा का अनुचित भुगतान किया गया। कैग रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य महकमे ने आपातकालीन प्रबंधन और अनुसंधान संस्थान सिकंदराबाद, आंध्रप्रदेश से मार्च 2008 में आकस्मिक चिकित्सा सेवा और अक्टूबर 2011 में प्रसव के बाद माताओं एवं नवजात शिशुओं को ड्राप बैक सुविधा देने के लिए एमओयू हस्ताक्षरित किए। दोनों ही दफा इसमें निविदा प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। यही नहीं, विभाग द्वारा सेवा प्रदाता को सौंपी गई 20.08 करोड़ की संपत्ति के सापेक्ष कोई बैंक प्रत्याभूति एवं क्षतिपूर्ति बंधपत्र नहीं लिया गया। इसके अलावा परिचालन लागत की वसूली न करने से संबंधित संस्थान को 3.20 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया गया। यही नहीं, गर्भवती महिलाओं को उनके घरों से प्रसव केंद्रों तक छोड़ने के लिए 7.95 करोड़ रुपये का भुगतान संबंधित संस्थान को किया गया, जिसे कैग ने अनुचित करार दिया है।
कैग रिपोर्ट के कुछ और मुख्य अंश
-जननी सुरक्षा योजना में अनियमितताएं।
-अनटाइड निधि से अमान्य व्यय।
-कुटुंब सर्वेक्षण व सुविधा सर्वेक्षण न किया जाना।
-अत्यधिक अधिप्राप्ति तथा औषधि किटों का कालातीत होना।
-2.18 करोड़ के चिकित्सकीय उपकरणों का उपयोग न किया जाना।