विधानसभा करेगी स्टिंग प्रकरण की जांच
राज्य ब्यूरो, देहरादून: सूबे की सियासत में सनसनी फैलाने वाले बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी के स्टिंग
राज्य ब्यूरो, देहरादून: सूबे की सियासत में सनसनी फैलाने वाले बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी के स्टिंग ऑपरेशन के मामले की जांच अब विधानसभा द्वारा की जाएगी। इसकी रिपोर्ट भी जल्द सदन के पटल पर रखी जाएगी। शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्ष की ओर से यह मामला नियम 58 के तहत सदन में उठाया गया, जिस पर स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने मामले में यह विनिश्चय दिया। इससे पूर्व विपक्ष ने इस मामले में सभी काम रोककर चर्चा कराने की अपनी मांग अस्वीकार होने पर सदन में जमकर हंगामा किया, जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित हुई और प्रश्नकाल भी नहीं चल सका। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद यह दूसरा वाकया है, जब पीठ की ओर से विधानसभा को किसी मामले की जांच सौंपी गई है। इससे पूर्व एनडी तिवारी सरकार के समय जैनी प्रकरण की जांच भी विधानसभा को सौंपी गई थी।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आगाज आज हंगामे के साथ हुआ। विपक्ष ने प्रश्नकाल प्रारंभ होते ही सदन में बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी के स्टिंग ऑपरेशन का मुद्दा उठाया। इसे भ्रष्टाचार का गंभीर प्रकरण बताते हुए विधायक की सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त करने व सभी काम रोककर इस मामले में चर्चा की मांग उठाई। स्पीकर ने विपक्ष से इस मामले में साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा। चर्चा की मांग अस्वीकार होने पर विपक्षी विधायकों ने वेल में आकर हंगामा किया, जिस पर सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित की गई।
कार्यवाही स्थगित होने के दौरान बसपा विधायक सरवत करीम ने स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल व मुख्यमंत्री हरीश रावत से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा। साथ ही, स्पीकर ने मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट, विपक्षी विधायक तीरथ सिंह रावत, हरबंस कपूर समेत पीडीएफ के सदस्य मंत्री प्रसाद नैथानी, प्रीतम सिंह पंवार व बसपा विधायक हरिदास के संग अपने कक्ष में इस मुद्दे पर कई घंटे तक चर्चा की। दोपहर बाद सदन की कार्यवाही शुरू होने पर स्पीकर ने स्टिंग मामले में नियम 58 की ग्राह्यता पर सुनने की मंजूरी दी।
नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने नियम 58 के तहत चर्चा की ग्राह्यता पर बोलते हुए कहा कि इस प्रकरण से प्रदेश की छवि धूमिल हुई है। सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार भी उजागर हुआ है। इस स्टिंग में चार मंत्रियों के नाम लिए गए। सरकार पर ऐसे आरोप लगना गंभीर व दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से संबंधित प्रकरण की सीडी विधानसभा को दी गई है। उक्त विधायक को नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा देना चाहिए। सदन की कमेटी बनाकर इसकी जांच की जाए। विधायक हरबंस कपूर, तीरथ सिंह रावत, मदन कौशिक, बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल, हरभजन सिंह चीमा ने भी चर्चा में भाग लेते हुए उक्त विधायक के इस्तीफे व मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी ने सदन में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन पर लगे अरोप पूरी तरह गलत हैं। उन्हें गलत ढंग से फंसाया गया। इस मामले में वे किसी भी तरह की जांच, यहां तक कि सीबीआइ जांच के लिए भी तैयार हैं। जांच के बाद दोषी के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री हरीश रावत ने खुद को आवास विकास परिषद के अध्यक्ष पद से पदमुक्त करने का अनुरोध भी किया।
विपक्ष भाजपा ने विधायक सरवत करीम अंसारी के वक्तव्य पर आपत्ति जताई, मगर मुख्यमंत्री हरीश रावत व संसदीय कार्यमंत्री डा. इंदिरा हृदयेश ने कहा कि अपना पक्ष रखने का अधिकार सदस्य को है। स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि यह प्रकरण अत्यंत गंभीर है। यह सदन की गरिमा व लोकतंत्र के लिए भी घातक है। नैसर्गिक न्याय की व्यवस्था के तहत बसपा विधायक को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया। उन्होंने मामले में विनिश्चय देते हुए कहा कि मामले की विधानसभा द्वारा जांच की जाएगी। साथ ही, रिपोर्ट भी जल्द सदन के पटल पर रखी जाएगी।
इनसेट..
'बसपा विधायक के स्टिंग ऑपरेशन के मामले में जल्द ही विधानसभा की जांच कमेटी बनाई जाएगी। सत्र के दौरान ही कमेटी के सदस्यों का चयन कर लिया जाएगा। कमेटी को निष्पक्ष व समयबद्ध जांच करने के निर्देश दिए जाएंगे, ताकि जल्द मामले की हकीकत सामने आए और दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जा सके।'
-गोविंद सिंह कुंजवाल, विधानसभा अध्यक्ष, उत्तराखंड