विकास के नाम पर विनाश
जागरण संवाददाता, देहरादून: पहाड़ी क्षेत्रों में विकास ही विनाश का कारण बन रहा है। किसी भी निर्माण कार
जागरण संवाददाता, देहरादून: पहाड़ी क्षेत्रों में विकास ही विनाश का कारण बन रहा है। किसी भी निर्माण कार्य में सुनियोजित विकास नजर नहीं आ रहा। इससे सबसे अधिक नुकसान वनों को हो रहा है। यह बात वन अनुसंधान संस्थान में आयोजित 13वें सिल्वी कल्चरल सम्मेलन में वन विशेषज्ञों ने कही। राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी ने भी इससे इत्तोफाक रखते हुए कहा कि आपदा के विकराल रूप धारण करने के पीछे का कारण वनों का अंधाधुंध दोहन है।
सोमवार को एफआरआइ के दीक्षांत सभागार में सिल्वीकल्चर डिवीजन के आयोजित सात दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी ने 'फर्स्ट डे कवर टिकट' जारी कर किया। उन्होंने कहा कि वनों की स्थिति बिगड़ने के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है और प्राकृतिक आपदा विकराल रूप ले रही है। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के महानिदेशक डॉ. अश्वनि कुमार ने बताया उन्नत किस्म के पौधों को क्लोनिंग आदि से बढ़ावा देकर वनों की स्थिति सुधारी जा सकती है। वहीं, एफआरआइ के निदेशक डॉ. पीपी भोजवैद ने वन प्रबंधन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि राज्यों में वनाधिकारियों को इस लायक प्रशिक्षण नहीं दिया जाता।
इस तरह हो रहा वनों का विनाश
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारी राजेश कुमार ने पर्वतीय क्षेत्रों में विकास के नाम पर वनों के विनाश की तस्वीर बयां करती रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि विभिन्न निर्माण कार्यों में आवश्यकता से अधिक वन भूमि ले ली जाती है, जिसका दुरुपयोग होता है। अधिकतर परियोजनाओं में डंपिंग जोन भी नहीं बनाए जा रहे और मलबा जंगलों में डालकर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि परियोजनाओं की डीपीआर बनाते समय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों को भी शामिल किया जाए। इस मौके पर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. सुनीता नारायण, वर्गीज पॉल सहित विशेषज्ञ मौजूद थे।
राज्यपाल ने डांट दिया
राज्यपाल डॉ. कुरैशी उस समय खासा नाराज हो गए, जब उनके भाषण के दौरान सभागार में कुछ लोग हंसी-ठिठोली कर रहे थे। राज्यपाल पहाड़ से पलायन रोकने के लिए फलदार पेड़ लगाने की बात कर रहे थे, उसी दौरान पीछे बैठे कुछ लोग हंसने लगे। यह देख राज्यपाल नाराज हो उठे और कहा कि इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम में इस तरह की हरकत शोभा नहीं देती।