समय का अर्थ है मृत्यु और किस्मत
देहरादून: जैन धर्मशाला में आयोजित निष्ठापन एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह में आर्यिका सरस्वती भूषण माता
देहरादून: जैन धर्मशाला में आयोजित निष्ठापन एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह में आर्यिका सरस्वती भूषण माता ने कहा कि समय का अर्थ अंतिम यानी मृत्यु और किस्मत है। जो व्यक्ति आगे चलकर समय को पकड़ लेता है, वह एक योद्धा के समान समय को पछाड़ देता है।
आर्यिका ने कहा कि चातुर्मास एक ऐसी स्थिति है, जिसमें साधु और श्रावक नजदीक आते हैं। दिगंबर साधु के लिए यह जरूरी है कि वह चातुर्मास के बाद उस स्थान को छोड़ दे। जैन समाज के महामंत्री नेमचंद जैन ने कहा कि सरस्वती भूषण माता ने निरंतर अपनी ज्ञान रूपी गंगा बहाकर श्रावकों को ईश्वर प्राप्ति के मार्ग पर लाने का प्रयास किया। इस मौके पर जैन समाज के अध्यक्ष सुरेश चंद जैन, महामंत्री नेमचंद जैन, अशोक जैन, प्रवीण जैन, विनोद जैन, श्यामलाल जैन, रूढ़ामल जैन, बाबूलाल जैन, सुधीर जैन आदि मौजूद रहे।