लागू होते ही तबादला नीति का 'मखौल'
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में डाक्टरों के लिए अलग तबादला नीति लागू हुए अभी एक महीना ही बीता है,
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में डाक्टरों के लिए अलग तबादला नीति लागू हुए अभी एक महीना ही बीता है, मगर इस नई नीति का मखौल उड़ना भी शुरू हो गया। दो माह पूर्व स्वास्थ्य विभाग ने डाक्टरों की जो तबादला सूची जारी की थी, उसमें से आठ डाक्टरों के तबादले निरस्त कर दिए गए हैं। आठ डाक्टरों के ट्रांसफर के संबंध में यह संशोधित आदेश विभागीय मंत्री से अनुमोदन लेने के बाद जारी किए गए हैं। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि विशेष आवश्यकता को देखते हुए उक्त संशोधित तबादला आदेश किए गए हैं।
उत्तराखंड के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में भी डाक्टरों की तैनाती सुनिश्चित करने की दिशा में पिछले 13 साल से राज्य सरकार की हर कोशिश नाकाम होती रही है। यही वजह है कि दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पटरी से उतरी हुई हैं। इस समस्या का स्थायी हल निकालने के लिए सरकार ने बीती सितंबर में डाक्टरों के लिए अलग तबादला नीति लागू की, मगर नई नीति लागू होने के एक महीने बाद ही उसका मखौल उड़ना भी शुरू हो गया। दरअसल, बीते अगस्त में स्वास्थ्य विभाग ने डाक्टरों के तबादला आदेश जारी किए थे, जबकि सितंबर में नई तबादला नीति लागू हुई।
बावजूद इसके बीते अगस्त में जारी हुई तबादला सूची में शामिल आठ डाक्टरों को अब उनके पुराने तैनाती स्थलों पर फिर से तैनात कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री व मुख्यमंत्री का अनुमोदन लेने के बाद यह संशोधित आदेश जारी हुए हैं। इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि विशेष जरूरत की स्थिति में नई नीति के मानकों में स्पेशलिस्ट व सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टरों को शिथिलता देने का प्रावधान मौजूद है। इसी के तहत ही उक्त संशोधित तबादला आदेश जारी किए गए हैं।
इनसेट..
इनके तबादले हुए निरस्त..
नाम--वर्तमान तैनाती--नई तैनाती
प्रशांत कौशिक-पिथौरागढ़-रामनगर
डा. विक्रांत सिरोही-उत्तरकाशी-भगवानपुर
डा. अनीता भट्ट-बागेश्वर-हल्द्वानी
डा. रीता भंडारी-दून महिला-कारोनेशन
डा. मो. अफजल-उत्तरकाशी-देहरादून
डा. रविंद्र चौहान-पौड़ी-चकराता
डा. दिनेश चौहान-रिखणीखाल-श्रीनगर
डा. उषा-पौड़ी-ऋषिकेश