केदारनाथ के पुनर्वास का खाका तैयार
राज्य ब्यूरो, देहरादून सरकार ने केदारनाथ के पुनर्वास का खाका तैयार कर लिया है। निर्णय लिया गया है
राज्य ब्यूरो, देहरादून
सरकार ने केदारनाथ के पुनर्वास का खाका तैयार कर लिया है। निर्णय लिया गया है कि मंदिर क्षेत्र के सामने, पीछे और ऊपर कोई निर्माण नहीं किया जाएगा। सरकार ने क्षेत्र के 500 ऐसे दावेदार चिह्नित किए हैं, जिनकी वहां पर अपनी जमीन है और जो वहां वर्षो से किराएदार के रूप में काबिज हैं। मंदिर के नीचे की इस जमीन को हिस्सेदारों की सहमति से ही आवंटित किया जाएगा। सरकार ने गन्ना किसानों के भुगतान की दिशा में भी कदम उठाया है, इसके लिए सरकार ने 15 दिन का समय तय किया है। राज्य आंदोलनकारियों पर चल रहे मुकदमों की पैरवी के लिए भी सरकार ने पूर्ण सहयोग की बात कही है।
बुधवार को बीजापुर स्थित आवास में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने केदारनाथ के लिए कैबिनेट की ओर से लिए गए निर्णय का स्पष्ट खाका सामने रखा। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में जीएसआई की रिपोर्ट के अनुसार ही कार्य किए जाएंगी। मंदिर के आगे, पीछे और ऊपर के कुछ मीटर के इलाके में बिल्कुल निर्माण नहीं होगा। इसके नीचे काफी खाली जमीन है, जिसे क्षेत्र के हक हकूक धारकों को उन्हीं की सहमति से आवंटित किया जाएगा। यदि किसी को इस स्थान पर कम जगह मिलती है तो फिर उन्हें नदी पार के इलाके में सरकार की ओर से विकसित किए जा रहे क्षेत्र में जगह दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि मंदाकिनी व सरस्वती के बीच निर्माण नहीं होगा, यहां वैज्ञानिक दृष्टि से सरकार के मानकों के अनुसार कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निर्माण के लिए उच्च तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। न्यूनतम वजन और न्यूनतम छेड़छाड़ से निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सोनप्रयाग से केदारनाथ तक काम करने के लिए सिंगल लाइन अथारिटी का गठन किया गया है। भू संबंधी मामलों में विवादों के निस्तारण के लिए एडीएम स्तर के अधिकारी को दायित्व सौंपा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी निर्माण के लिए अभी किसी एजेंसी को फाइनल नहीं किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कंसलटेंट एजेंसी की मदद से कार्यो को अंतिम रूप दिया जाएगा। हालांकि मुख्यमंत्री केदारनाथ में खड़े भवनों के ढांचों को तोड़ने के सवाल को टाल गए।
मुख्यमंत्री ने केदारनाथ में कैबिनेट बैठक आयोजित किए जाने की भी पैरवी की। उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर आठ हजार करोड़ का खर्च होना है उसका निर्णय 200 किमी दूर बैठकर कैसे लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिस केदारनाथ पुनर्वास के जिस नक्शे को पास किया गया उस नक्शे को देखकर मंत्रिमंडल अपना मत रखेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि केदारनाथ में कैबिनेट होती है तो मंत्रिमंडल हेलीकॉप्टर से केदारनाथ जाएगा।
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गन्ना किसानों के भुगतान के लिए 15 दिन का समय
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सरकारी व सहकारी क्षेत्र की चीनी मिलों में किसानों के बकाए का 90 फीसद भुगतान हो चुका है। शेष भुगतान के लिए संबंधित विभाग को 15 दिन का समय दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का फोकस लक्सर, नारसन और इकबालपुर की निजी चीनी मिलों पर भी है। इन चीनी मिलों ने अभी किसानों का 167 करोड़ का भुगतान करना है। सरकार ने इनके प्रतिनिधियों को बुलाकर इनसे वार्ता की है। उनसे कहा गया है कि वह 60-70 करोड़ का व्यवस्था करें। शेष 100 करोड़ रुपये सरकार सहकारी बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराने को तैयार है। इसके लिए सचिव वित्त एवं सचिव सहकारिता को भुगतान के तरीकों पर कार्य करने को कहा गया है।
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आंदोलनकारियों के मुद्दों पर सरकार साथ
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सरकार ने आंदोलनकारियों के संबंध में बड़ा निर्णय लिया है। राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को भर्ती करने के निर्णय पर लगी रोक पर मुख्य सचिव को कर्मचारी भर्ती नियमावली 1965 के नियमों का अध्ययन करने को कहा गया है ताकि यह देखा जा सके कि इस विषय में सरकार क्या कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार इनकी नियुक्ति के मामले पर कदम पीछे नहीं खींचेगी। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर, खटीमा और मसूरी में जो हुआ वह अशोभनीय घटना थी। जहां-जहां आंदोलनकारियों पर मुकदमें चल रहे हैं सरकार इनकी पैरवी करेगी। इसके लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। यह समिति इस प्रकार के मुकदमों में आंदोलनकारियों की पैरवी करेगी।