उत्तराखंड को मिले वनों के लिए रॉयल्टी
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: जनदेश स्वैच्छिक संगठन व एक्शन एंड एसोसिएशन की ओर से आयोजित कार्यशाला में वक्ताओं ने उत्तराखंड को वन संरक्षण के लिए रॉयल्टी देने की मांग की। इस दौरान पर्यावरण व जन आंदोलनों से जुड़े लोगों ने प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को हिमालयी क्षेत्र के लिए खतरे का संकेत बताया।
मुनिकीरेती स्थित गंगा रिसार्ट में शुक्रवार को 'प्राकृतिक संसाधन आधारित जन संघर्षो का प्रस्तुतिकरण एवं भविष्य की चुनौती' विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रख्यात सामाजसेवी व वैज्ञानिक वीरेंद्र पैन्यूली ने कहा कि विश्वस्तर पर आज प्राकृति संसाधनों लूट मची है। लोग संसाधनों पर कब्जा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड के लोग आज भी हिमालय बचाने के लिए मर खप रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस राज्य में महिलाएं, पुरुष और बच्चे अपने जल, जंगल व जमीन के हित के लिए लड़ रहे हों ऐसे प्रदेश को केंद्र सरकार को वनों के संरक्षण के लिए रॉयल्टी दी जानी चाहिए। संस्था के सचिव लक्ष्मण सिंह ने जंगलों को हरा सोना बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस हरियाली के लिए जो रॉयल्टी दे वह सीधे पंचायतों, महिला मंगल दलों व वन पंचायतों के खाते में दिया जाना चाहिए। वन पंचायत संघ उत्तराखंड के सचिव बहादुर सिंह रावत वन अधिकार कानून पर्वतीय क्षेत्रों में लागू करने, हीरा जगपांगी ने वन अधिकार समितियों के गठन की मांग की। चिपको आंदोलन की नेत्री सुशीला भंडारी ने कहा कि गत वर्ष की भीषण आपदा केंद्र व राज्य सरकार की पहाड़ व पर्यावरण विरोधी नीतियों का नतीजा है। इस दौरान अरण्य रंजन, अवतार सिंह नेगी, नागेंद्र दत्त, सुरेंद्र रावत आदि ने विचार व्यक्त किए। राजेंद्र रावत व दुर्गा प्रसाद कंसवाल के संचालन में चले कार्यक्रम में हरीश परमार, रघुवीर चौहान, संगीता, वीरेंद्र, अरविंद कुमार, माहेश्वरी देवी, गणेशी देवी, आशा देवी आदि उपस्थित थे।