कहीं चिकित्सक नदारद तो कहीं सुविधाएं
जागरण संवाददाता, देहरादून: राजधानी दून के अस्पताल खुद उपचार को तरस रहे हैं। कहीं चिकित्सक व कर्मी लेटलतीफ हैं, तो कहीं बेहतर उपचार लायक संसाधन ही मयस्सर नहीं हो पा रहे। जहां थोड़े-बहुत संसाधन हैं भी वहां कर्मचारियों की अपनी समस्या बेहतर चिकित्सा के आड़े आ रही है। दून के सरकारी अस्पतालों की यह तस्वीर स्वास्थ्य महानिदेशक जीसी जोशी के नेतृत्व में किए गए विभिन्न अधिकारियों के औचक निरीक्षण में सामने आई। निरीक्षण को पुख्ता बनाने के लिए हर अधिकारी को एक अस्पताल बांटा गया था। निरीक्षण में पाई गई खामियों को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग नियमानुसार कार्रवाई की बात कर रहा है।
दून चिकित्सालय: यहां डॉ. एलके गुसाईं ने निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई चिकित्सा कर्मी ड्यूटी से नदारद पाए गए। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए एक डेंटल हाइजिनिस्ट, फार्मेसिस्ट, दो सिस्टर व तीन संविदा कर्मियों का स्पष्टीकरण तलब किया गया है।
दून महिला चिकित्सालय: निदेशक आशा सिंह ने निरीक्षण में पाया कि चिकित्सकों समेत अस्पताल का 35 फीसद स्टाफ समय पर उपस्थित नहीं था। जिन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
कोरोनेशन: निदेशक डॉ. सावित्री सिंह, डॉ. प्रेमलाल व अपर निदेशक डॉ. अर्चन सिंह की संयुक्त टीम के दौरे में वैसे तो अधिकतर व्यवस्था दुरुस्त पाई गई, मगर दो कर्मचारी समय पर उपस्थित नहीं थे। इनका स्पष्टीकरण तलब किया गया।
संयुक्त चिकित्सालय प्रेमनगर: स्वास्थ्य महानिदेशक जीसी जोशी के निरीक्षण में सामने आया कि 30 बेड के इस अस्पताल में 10-12 बेड की और जरूरत है। जिस कारण मरीजों को समय से पहले भी डिस्चार्ज किया जा रहा है। सीजेरियन केस दोपहर दो बजे के बाद नहीं लिए जा रहे, स्वास्थ्य महानिदेशक ने इसके लिए सिस्टर को रात आठ बजे तक काम करने के निर्देश दिए।
मानसिक चिकित्सालय, सेलाकुई: महानिदेशक जीसी जोशी को यहां व्यवस्था दुरुस्त मिली। हालांकि कुछ चिकित्सा कर्मी महज चार हजार रुपये में काम कर रहे हैं, जिसका असर उनके मनोबल पर पड़ रहा है।