सुरक्षा हटते ही खाद्य आयोग बेमायने
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (एनएफएसए) को लेकर सरकार के बैकफुट पर जाने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। 11.33 लाख से ज्यादा प्राथमिक परिवारों के चिन्हीकरण में सालभर का वक्त जाया करने के साथ ही योजना को अमल में लाने को बाकायदा राज्य खाद्य आयोग का गठन भी किया जा चुका है। अब एनएफएसए पर कदम ठिठकने से खाद्य आयोग का गठन भी बेमायने होकर रह गया है।
एनएफएसए के सियासी लाभ पर ही फोकस रहने के कारण जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करना आखिरकार सरकार को भारी पड़ा। एनएफएसए को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल इसलिए भी उठने स्वाभाविक हैं कि राज्य की कांग्रेस सरकार बीपीएल परिवारों को लेकर अपने स्वाभाविक मोह को छोड़ नहीं सकी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में बीपीएल के स्थान पर सिर्फ अंत्योदय परिवारों को ही प्रति परिवार 35 किलो खाद्यान्न मुहैया कराया जाना है। बीपीएल परिवारों को प्राथमिक परिवारों की तर्ज पर ही प्रति यूनिट पांच किलो की दर से खाद्यान्न देने की व्यवस्था है। बीपीएल परिवारों को अंत्योदय की तर्ज पर खाद्यान्न मुहैया कराने की बाबत सत्तारूढ़ दल के विधायक विभिन्न स्तरों पर दबाव बनाने में जुटे रहे। नतीजतन बीपीएल परिवारों के चिन्हीकरण को लेकर खाद्य महकमा शुरुआती दौर से ही दबावमुक्त नहीं हो सका है। यही वजह है कि सालभर की कवायद के बाद बामुश्किल चिन्हित किए गए प्राथमिक परिवारों के साथ पुराने बीपीएल कार्डधारकोंको स्वाभाविक रूप से शामिल कर लिया गया। उनके दोबारा चिन्हीकरण की जहमत उठाने के बजाए बीपीएल परिवारों के लिए प्राथमिक परिवारों के तौर पर वितरित किए गए कार्डो में बाकायदा 'बी' का उल्लेख किया गया है। बी सीरिज के कार्ड तीन लाख से ज्यादा बीपीएल परिवारों के लिए हैं। यही वजह है कि आनन-फानन में प्राथमिक परिवारों के चिन्हीकरण को लेकर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
प्राथमिक परिवारों के चिन्हीकरण और फिर नए राशनकार्ड वितरण में आधी-अधूरी तैयारी कई मौकों पर सामने आ चुकी है। मुख्यमंत्री हरीश रावत की समीक्षा बैठकों में सभी पात्रों को राशनकार्ड वितरित नहीं होने का मुद्दा सामने आ चुका है। हालांकि, खाद्य महकमे की ओर से तमाम जिलों में 90 फीसद से ज्यादा नए राशनकार्ड वितरित करने का दावा किया गया, लेकिन असलियत कुछ और ही बयां कर रही है। खुद प्रदेश के खाद्य मंत्री प्रीतम सिंह अपने विधानसभा क्षेत्र में ही प्राथमिक परिवारों के चिन्हीकरण और राशनकार्ड वितरण पर अंगुली उठा चुके हैं। एनएफएसए के तहत ही बीते वर्ष अगस्त माह में ही राज्य खाद्य आयोग का गठन किया जा चुका है। आयुक्त के रूप में सचिव स्तर का सेवानिवृत्त अधिकारी तैनात किया गया है। एनएफएसए के स्थान पर राज्य खाद्य योजना लागू होने के बाद खाद्य आयोग का गठन भी सवालों में घिर गया है।