भक्ति के मार्ग में बाधक तामसी संवाद
जागरण संवाददाता, देहरादून: द्रोणनगरी में शुक्रवार को नाग पंचमी का उल्लास रहा। इस मौके पर नाग देवता का मंत्रोच्चार के बीच दुग्धाभिषेक हुआ। मंदिरों में काल सर्प दोष निवारण के लिए दिनभर पूजन चलता रहा।
रायपुर स्थित लक्ष्मीनारायण धाम में मंत्रोच्चार के बीच नाग देवता का सामूहिक अभिषेक हुआ। श्रद्धालुओं ने नागों की प्रतिमा पर दूध चढ़ाकर उनका पूजन किया। इस मौके पर आचार्य संपूर्णानंद वेदवाल ने कहा कि भगवान शंकर ने नाग गले में डालकर श्रृंगार किया और श्रीहरि की शैय्या बनकर नागों ने उनकी सेवा की। धैर्य और क्षमा को धर्म की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि केवल धार्मिक चिह्न धारण कर अथवा केवल कर्मकांड करके धार्मिक नहीं बना जा सकता।
तामसी, राजसी व सतोगुणी संवाद की विवेचना करते हुए उन्होंने कहा कि तामसी संवाद में अहंकार झलकता है, जो भक्ति के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक है। इस मौके पर मंदिरों में कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष पूजन हुआ। साथ ही लोगों ने चांदी के नाग भी चढ़ाए। पंचाक्षरी मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप भी चलता रहा।