अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षक मुखर
जागरण संवाददाता, देहरादून: एलटीसी और चिकित्सा सुविधा समेत राजकीय महाविद्यालयों के समान ही अन्य सुविधाएं दिए जाने की मांग को लेकर अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिक्षकों ने बुधवार को 10 सूत्रीय मांगों को लेकर आदोलन शुरू कर दिया। इसे लेकर शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा से भी मिला, पर किसी भी तरह की सहमती नहीं बन सकी।
उत्तराखंड विश्वविद्यालय, महाविद्यालय शिक्षक महासंघ फुक्टा और ग्रुटा से जुड़े शिक्षक बुधवार को डीएवी पीजी, डीबीएस और एसजीआरआर कॉलेज में धरने पर बैठ गए। शिक्षक राजकीय महाविद्यालयों के बराबर सुविधाएं देने की मांग कर रहे हैं। डीएवी शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. एसपी मित्तल ने कहा कि अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों पर जबरन नियम लादे जा रहे हैं। जबकि सुविधाओं के नाम पर उनकी अनदेखी की जा रही है। उन्होंने शिक्षकों को राजकीय महाविद्यालयों के बराबर सुविधा प्रदान करने की मांग की। ग्रुटा के सचिव डॉ. डीके त्यागी ने कहा कि अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षक राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों के समान ही योग्यता रखते हैं। ऐसे में उन्हें दी जाने वाली सुविधाएं भी समान होनी चाहिए।
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प्रमुख सचिव से मिले शिक्षक
धरने के बाद शिक्षकों का एक प्रतिनिधि मंडल प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा मनीषा पंवार से बातचीत करने पहुंचा। जहां उन्होंने अपनी समस्याएं और तमाम मुद्दों के बारे में चर्चा की। डॉ. डीके त्यागी ने बताया कि कुछ मुद्दों को लेकर सकारात्मक रिस्पांस मिला है, लेकिन जब तक मांगें पूरी नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा। गुरुवार को हरिद्वार और रुड़की के अशासकीय महाविद्यालय भी आंदोलन में शामिल होंगे। धरना देने वालों में डॉ. वीएस पांडे, डॉ. एमएम जुवाठा, डॉ. कौशल कुमार, डॉ. प्रशात सिंह, डॉ. आरके पाठक, डॉ. सत्यव्रत त्यागी, डॉ. राखी उपाध्याय आदि शामिल रहे।
ये हैं मागे
-चिकित्सा सुविधा
-एलटीसी की सुविधा
-राजपत्रित अधिकारी पदनाम
-पृथक निदेशालय की स्थापना
-उपार्जित अवकाश की सुविधा
-प्रतिनियुक्ति के अवसर
-बॉयोमैट्रिक्स के बजाय रजिस्टर में उपस्थिति
-प्रोफेसर पदनाम दिया जाए
-परीक्षा नियंत्रक और मुख्य नियंता जैसे पदों के लिए मानदेय
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शिक्षणेत्तर कर्मियों की भी तनी मुट्ठियां
शिक्षकों के साथ ही शिक्षणेत्तर कर्मी भी अब अपनी मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं। बुधवार को डीएवी पीजी कॉलेज शिक्षणेत्तर कर्मचारी परिषद की आपात बैठक आयोजित की गई। संगठन के अध्यक्ष हनुमान प्रसाद ने कहा कि विवि परिनियमावली में शिक्षणेत्तर कर्मियों की उपस्थिति बायोमैट्रिक पर कराने का कहीं उल्लेख भी उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि अशासकीय शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को राजकीय कर्मचारियों की भांति ही सुविधाएं दी जानी चाहिए। जिनमें एसीपी का लाभ, लिपिकीय संवर्ग को पदनाम एवं वेतनमान, सेवानिवृत्ति माह के अंतिम दिवस पर, एलटीसी की सुविधा, उपार्जित अवकाश का नगदीकरण, हेल्थ स्मार्ट कार्ड की सुविधा, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को तृतीय श्रेणी के पदों पर 50 प्रतिशत पदोन्नति व माह के द्वितीय शनिवार के अवकाश वर्ष में शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन अवकाश में समायोजित करना आदि शामिल हैं।