जड़ी-बूटी बन रही आर्थिकी का जरिया
डोईवाला: पर्वतीय क्षेत्रों में जड़ी-बूटी का उत्पादन अब रोजगार का साधन बनने लगा है। थानो, भोगपुर व रानीपोखरी आदि ग्रामीण क्षेत्रों में अब किसानों ने इस खेती के रूप में अपनाना शुरू कर दिया है। जिला भेषज संघ के प्रयासों से किसान इस खेती से जुड़ने लगा है।
राज्य सरकार की ओर से उत्तराखंड को जड़ी बूटी के क्षेत्र में विकसित करने की सोच ग्रामीण क्षेत्रों में रंग लाने लगी है। पृथक राज्य निर्माण के बाद इस दिशा में ठोस प्रयास भी शुरू हुए हैं। पर्वतीय क्षेत्रों की बंजर भूमि पर किसानों के प्रयासों के बाद जड़ी-बूटी का उत्पादन शुरू होने लगा है। ग्रामीण किसान खासकर पर्वतीय क्षेत्रों के किसान इसको रोजगार की दृष्टि से अपनाने लगा है। जिला भेषज संघ के जड़ी-बूटी पर्यवेक्षक विमल कुमार ने बताया कि थानो, भोगपुर, रानीपोखरी आदि ग्रामीण क्षेत्रों में कई किसान तेजपात, रीठा की खेती कर रहे हैं। ऋषिकेश वन विभाग ऋषिकेश में जड़ी-बूटी खरीद की मंडी भी है। किसान अपने स्तर पर भी स्वयं कहीं भी अपना उत्पादित सामान बेच सकता है। किसानों में इस खेती के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के 70 किसान इस खेती को कर रहे हैं।