महासमर: शुरू हो गई मुद्दों की सियासत
विकास धूलिया, देहरादून
उत्तराखंड में नामांकन प्रक्रिया चरम पर पहुंचते-पहुंचते चुनाव की सरगर्मी बढ़ने लगी है। सूबे में व्यापक वजूद रखने वाले दोनों सियासी दल कांग्रेस और भाजपा के बीच मुद्दों पर सियासत शुरू हो गई है। दिलचस्प बात यह कि केंद्र और राज्य, दोनों जगह सत्ता पर काबिज कांग्रेस और उसके प्रत्याशी अपने पूरे अभियान में राष्ट्रीय मुद्दों से बचते दिख रहे हैं। पार्टी की कोशिश है कि भाजपा को स्थानीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर ही घेरा जाए। इसके ठीक उलट भाजपा की चुनावी नैया के खेवनहार राज्य में नरेंद्र मोदी और कांग्रेस पर प्रभावी एंटी इनकंबेंसी को धार देने की कोशिश में हैं, हालांकि स्थानीय मुद्दों का भी पार्टी क्षेत्रवार सहूलियत के लिहाज से इस्तेमाल कर रही है।
कांग्रेस के समक्ष इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती और परेशानी भी, यह है कि उसे केंद्र और राज्य दोनों तरह की एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है। दोनों ही जगह इस समय कांग्रेस सत्ता में है, लिहाजा विपक्षी पार्टियों के पास उसके खिलाफ कहने को काफी कुछ है। भ्रष्टाचार से लेकर महंगाई तक, कांग्रेस के पास विपक्ष के सवालों और आरोपों का कोई जवाब नहीं है। यही वजह है कि पार्टी इस लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों से बचते हुए इसे स्थानीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर केंद्रित करने की रणनीति पर चल रही है। इसके ठीक उलट भाजपा इस वक्त पूरी तरह मोदीमय होते हुए नमो-नमो का ही जाप कर रही है। भ्रष्टाचार, महंगाई, गुड गवर्नेस, लीडरशिप, कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर भाजपा कांग्रेस से जवाब मांग रही है। हालांकि पार्टी क्षेत्रवार कांग्रेस को घेरने के लिए स्थानीय मुद्दों के साथ आक्रामक तेवर भी अपनाए हुए है।
टिहरी: विकास बनाम विनाश
टिहरी लोकसभा सीट पर कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यकाल में हुए विकास के मुद्दे को सर्वाधिक तरजीह दे रही है। उत्तरकाशी के रंवाल्टा समुदाय को ओबीसी का दर्जा, टिहरी झील विकास प्राधिकरण व एडवेंचर स्पोर्ट्स एकेडमी, देहरादून में अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम, लखवाड़ व ब्यासी परियोजनाओं को केंद्र से अनुमति और आपदा के बाद पुननिर्माण कार्य पर कांग्रेस वोट मांग रही है। इसके ठीक उलट भाजपा आपदा प्रबंधन में विफलता, टिहरी बांध विस्थापन में खेल इको सेंसेटिव जोन, जल विद्युत परियोजनाओं पर अड़गा जैसे विषयों पर कांग्रेस को घेर रही है।
पौड़ी गढ़वाल: आपदा ही आपदा
पौड़ी सीट पर आपदा सबसे बड़ा मसला है। केदारनाथ धाम के साथ ही यात्रा मार्ग में कुदरत ने जो कहर ढाया, उससे उबरने की दिशा में अब तक ठोस पहल नहीं हो पाई है। आपदा के बाद राहत कार्याें और पुननिर्माण के सवाल पर भाजपा सरकार को घेर रही है। इसके अलावा कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का ख्वाब, गढ़वाल और कुमाऊं को सीधे आपस में जोड़ने वाली कंडी रोड का निर्माण, राजनीतिक अराजकता जैसे तमाम मुद्दों को लेकर जनता के बीच है। वहीं, कांग्रेस की बात करें तो आपदा के बाद राहत कार्याें और पुननिर्माण में विपक्ष पर असहयोग का आरोप लगा रही है। पार्टी विरासत में मिली विकास की धीमी गति के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रही है। वन रैंक-वन पेंशन भी बड़ा मुद्दा है।
हरिद्वार: आरोप-प्रत्यारोप की सियासत
हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस पूर्व भाजपा सरकार के दौरान के कथित कुंभ घोटाले पर भाजपा को घेर रही है। इसके अलावा रोजगार, शासकीय कार्यों में पारदर्शिता, औद्योगिक विकास, गन्ना किसानों के बकाए का जल्द भुगतान को कांग्रेस ने मुद्दा बनाया है। उधर, भाजपा गन्ना किसानों के भुगतान में देरी मामले में कांग्रेस पर हमलावर है। हरिद्वार में महिलाओं के साथ दुराचार और अन्य आपराधिक घटनाओं को सरकार की विफलता के नाम पर जनता के बीच ले जाया जा रहा है। सिडकुल की जमीनों को निजी हाथों में बेचना और बाढ़ के समय प्रभावितों पर ध्यान न देने को भी भाजपा ने अपने एजेंडे में शामिल किया है।
अल्मोड़ा: बुनियादी सुविधाओं की दरकार
अल्मोड़ा में भी इस चुनाव में आपदा का मुद्दा अहम साबित होने जा रहा है। कांग्रेस जहां कारगर आपदा प्रबंधन के साथ आपदा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए भूमि बैंक के मुद्दे को भुना रही है, वहीं, लोकसभा क्षेत्र तक रेलवे लाइन, युवाओं को रोजगार, दुर्गम क्षेत्रों के विकास का सपना भी वोटर को दिखा रही है। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से ओबीसी घोषित धारचूला-मुनस्यारी की 143 जातियों को केंद्र सरकार से भी आरक्षण दिलवाने का भरोसा कांग्रेस दे रही है। उधर, भाजपा आपदा पर सरकार की विफलता के साथ-साथ बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, पहाड़ से पलायन और कमजोर परिवहन तंत्र जैसे मुद्दों पर मतदाताओं के दरवाजे जा रही है।
नैनीताल: एजुकेशन व टूरिस्ट हब
इस सीट पर कांग्रेस संसदीय क्षेत्र को एजुकेशन व टूरिस्ट हब बनाने, केंद्रीय विश्वविद्यालय व एम्स की स्थापना को मुद्दों के रूप में इस्तेमाल कर रही है। पहाड़ी युवाओं की वायु सेना व थल सेना में भर्ती के लिए भवाली में केंद्र की स्थापना, रेल परिवहन के विस्तार जैसे मुद्दों पर भी पार्टी को जन समर्थन की उम्मीद है। दूसरी ओर जमरानी बांध भाजपा के मुद्दों में शामिल है। एचएमटी फैक्ट्री भी पार्टी के लिए एक बड़ा चुनावी मसला बन गया है। साथ ही बिजली-पानी, फ्लाई ओवर, रेल परिवहन तंत्र का विस्तार, गन्ना किसानों की समस्याएं भी पार्टी के चुनावी मुद्दों का हिस्सा हैं।
मुद्दों पर क्या कहते हैं प्रदेश अध्यक्ष
-हर क्षेत्र में निरंतर विकास
-आपदा पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण
-रोजगार के अवसरों का सृजन
-औद्योगिक विकास को बढ़ावा
-शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं
-महिला, युवा व कमजोर तबके के कल्याण को योजनाएं
-वन रैंक-वन पेंशन
-यशपाल आर्य, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखंड कांग्रेस
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-प्रदेश व देशभर में व्याप्त भ्रष्टाचार
-कमरतोड़ महंगाई पर लगाम नहीं
-आपदा पुनर्निर्माण व पुनर्वास कार्य में लापरवाही
-निरंकुश व लचर कानून व्यवस्था
-स्कूलों में शिक्षक व चिकित्सालयों में डाक्टरों की भारी कमी
-पलायन पर अंकुश लगाने में नाकामयाबी
-रोजगार सृजन में विफलता
-तीरथ सिंह रावत, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखंड भाजपा
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