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केदारघाटी ठेले गए बेलदार घुड़साल में सोए

By Edited By: Published: Sat, 19 Apr 2014 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 19 Apr 2014 01:00 AM (IST)
केदारघाटी ठेले गए बेलदार घुड़साल में सोए

जागरण संवाददाता, देहरादून: जिन बूढ़े बेलदारों को सड़क निर्माण में सहयोग के लिए लोनिवि ने केदारघाटी भेजा था, उन्हें वहां पर अमानवीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। करीब तीन दिन पहले सोनप्रयाग, गौरीकुंड जैसे आपदाग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचे बेलदार-मेटों को खच्चरों के साथ सोना पड़ा और 125 रुपये प्लेट के हिसाब से भोजन खरीदना पड़ा। यही नहीं उन्हें बिना बरसाती (रेन प्रूफ कपड़े) के बारिश के बच काम करने को मजबूर होना पड़ रहा है। कई बूढ़े कर्मचारी वहां जाते ही बीमार पड़ गए हैं और विभाग है कि सुध लेने को तैयार नहीं।

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पहले तो लोनिवि ने उस शासनादेश की अनदेखी की, जिसमें आपदाग्रस्त क्षेत्रों में आउटसोर्सिंग के आधार पर मेट-बेलदार भेजने की स्वीकृति दी गई थी। इसके बाद विभाग ने अपने बूढ़े बेलदार-मेटों को केदारघाटी में झोंक दिया। देहरादून से ही 100 से अधिक मेट-बेलदार केदारघाटी के सोनप्रयाग व गौरीकुंड जैसे क्षेत्रों में पहुंचा दिए गए हैं। अन्य जनपदों से भी लोनिवि के ऐसे कर्मचारी केदारघाटी भेजे गए हैं। इनमें अधिकतर 50 की उम्र पार कर चुके हैं। गंभीर यह कि मेट-बेलदारों को इस आश्वासन पर भेजा गया था कि उनके रहने-खाने का पूरा इंतजाम किया जाएगा। मगर, जब वे वहां पहुंचे तो न खाने के लिए अन्न था, न ही सोने के लिए पर्याप्त इंतजाम। मजबूरन उन्हें घुड़साल में आसरा लेना पड़ रहा है और वे होटल में महंगे दाम पर भोजन करने को मजबूर हो रहे हैं। कई कर्मचारियों ने मजबूर होकर अपने खर्चे पर कमरा किराया पर भी ले लिया। वे बारिश के बीच ही काम कर रहे हैं, विभाग ने उन्हें बरसाती तक मुहैया करना जरूरी नहीं समझा। यह भी कम मजाक नहीं कि सड़क मरम्मत के जिस काम में सहयोग के लिए कर्मचारियों को केदारघाटी भेजा गया, उसके जरूरी उपकरण तक उन्हें मुहैया नहीं कराए गए।

मैं वर्क एजेंट हूं। मुझसे जबरन बेलदार का काम कराया जा रहा है। हमारे लिए न तो ठहरने की उचित व्यवस्था की गई है और न ही खाने की।

देवराज, वर्क एजेंट

हम लोग केदारघाटी में अमानवीय परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। कई साथी बीमार पड़ चुके हैं। ऐसे में काम क्या होगा, समझा जा सकता है।

बाल कृष्ण, मेट

निर्माण खंड ने सूची की संशोधित

लोनिवि निर्माण खंड, देहरादून ने उन बेलदार-मेट के नाम सूची से हटा दिए, जिनकी उम्र 50 से अधिक थी। जबकि अन्य खंडों ने इस दिशा में दिलचस्पी नहीं दिखाई।

अब बेलदार-मेटों को सुविधा दी जाने लगी है। जल्द ही व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर आ जाएगी।

मुलायम सिंह, अधीक्षण अभियंता, रुद्रप्रयाग

शासनादेश के विपरीत केदारघाटी भेजे गए विभाग के बेलदार-मेटों के लिए रहने-खाने के उचित इंतजाम नहीं किए गए तो आंदोलन छेड़ा जाएगा।

बाबू खान, प्रदेश अध्यक्ष, लोनिवि दैनिक/कार्यप्रभारित कर्मचारी यूनियन


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