ठोकरें नया सिखाती हैं
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :
हादसे और ठोकरें इंसान को कुछ न कुछ नया सिखाती है। उत्ताराखंड में आई दैवीय आपदा ने भी हमें कई सबक दिए हैं। राज्य के कई बाल वैज्ञानिकों ने इस आपदा से सबक लेते हुए कई ऐसे मॉडल भी तैयार किए हैं जिन पर अमल किया जाए तो वह भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।
राजकीय इंटर कॉलेज पिथौरागढ़ के बारहवीं के छात्र किशोर कुमार ने आपदा के प्रकोप को बेहद करीब से देखा। मामा के गांव जौलजीवी में किशोर ने एक पुल को अपने सामने बहते देखा। जिसके बाद किशोर ने हाइड्रोलिक पुल का मॉडल विकसित करने की ठान ली और उनका यह मॉडल आज राज्य स्तर विज्ञान महोत्सव में भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। किशोर का कहना है कि नदियों में आने वाली बाढ़ पुलों को नुकसान पहुंचाती है। जबकि हाइड्रोलिक प्रणाली से तैयार पुलों को बाढ़ की स्थिति में नदी के स्तर से ऊपर उठा कर पुलों को सुरक्षित बचाया जा सकता है। इस बार आपदा में राज्य के 150 से अधिक पुल बह गए थे। चंपावत के बारहवीं के छात्र संदीप नाथ गोस्वामी ने दाब पर आधारित अलार्म अलर्ट मॉडल से पहाड़ों में भूस्खलन से होने वाली क्षति को कम करने का मॉडल तैयार किया है। संदीप के मुताबिक भूस्खलन की स्थिति में पहाड़ी से आबादी की ओर आने वाला मलबा जैसे ही प्लेट को छूएगा वैसे ही आगे के गांवों में अलर्ट अलार्म बज जाएगा और जिससे जान माल की हानि कम की जा सकती है। टनकपुर चंपावत के विवेकानंद विद्या मंदिर के छात्र संजय गंगवार ने हाइड्रोलिक बैराज का मॉडल तैयार किया है। संजय ने बताया कि नदियों में बाढ़ से बैराज और बांधों को नुकसान होता है। जबकि हाइड्रोलिक बैराज का मॉडल इस नुकसान को बचा सकता है। इस मॉडल में उन्होंने बैराज व बांध के गेट को इस तरह हाइड्रोलिक प्रणाली से जोड़ा है कि नदियों में बाढ़ की स्थिति में बिना क्रेन के ही बैराज और बांध के गेट खुल जाएंगे। राज्य विज्ञान महोत्सव में इस तरह के कई अन्य मॉडल भी हैं जिन्हें बाल वैज्ञानिकों इस बार की आपदा से ही सबक लेकर तैयार किया है।
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मूल्यांकन का कार्य आरंभ
राज्य विज्ञान महोत्सव- 2013 के दूसरे दिन मूल्यांकन का कार्य आरंभ हो गया है। गुरुवार तक चलने वाले राज्य विज्ञान महोत्सव में अलग-अलग विषयों पर विज्ञान प्रदर्शनी, विज्ञान ड्रामा और विज्ञान मेला तीन गतिविधियां शामिल की गई हैं। राज्य के 13 जनपदों के 455 छात्र व 130 शिक्षक राज्य विज्ञान महोत्सव में शिरकत कर रहे हैं। विज्ञान महोत्सव के दूसरे दिन निर्णायाकों के दल ने मूल्यांकन का काम शुरू कर दिया। वहीं दूसरे दिन विज्ञान ड्रामा में विज्ञान और समाज विषय पर जल सहयोग, वैज्ञानिक, प्रवृति की आवश्कता, हरित ऊर्जा, स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य के सिद्धांत व वैज्ञानिकों का जीवन एवं उनके कार्यो पर टीमों ने विज्ञान ड्रामा प्रस्तुत किया।
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