नाम 'स्वर्गाश्रम' हालत 'नरक' जैसे
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :
पर्यटन मानचित्र पर 'स्वर्गाश्रम' क्षेत्र किसी परिचय का मोहताज नहीं है। मगर, इस क्षेत्र में सफाई व्यवस्था लचर है। जहां तहां पड़ा कूड़ा व गंदगी के ढेर तीर्थयात्री और पर्यटकों को नाक-भौं सिकोड़ने को विवश कर रहे हैं।
तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का पसंदीदा स्वर्गाश्रम क्षेत्र का वजूद जौंक निकाय बनने के बाद अब और भी बढ़ गया है। मगर, निकाय बोर्ड गठन के तीन माह बाद भी यहां निकाय के काम नजर नहीं आ रहे हैं। सफाई व्यवस्था की बात करें तो स्वर्गाश्रम का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां साफ-सफाई नजर आती हो। सबसे अधिक चहल-पहल वाले गीता भवन, साधु समाज आश्रम, परमार्थ निकेतन व वानप्रस्थ आश्रम क्षेत्र में भी सफाई व्यवस्था पटरी से उतरी है। सड़क पर जहां-तहां कचरे के ढेर और उन पर मुंह मारते जानवर देखे जा सकते हैं। सड़कों पर घूमता पशुधन जहां पर्यटकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है वहीं पशुओं के कारण गंदगी भी बढ़ती जा रही है। स्वर्गाश्रम गद्दी क्षेत्र, जौंक गांव, आम खाला व लक्ष्मणझूला क्षेत्र में भी सफाई व्यवस्था बेहाल है। सड़क किनारे लगे कूड़े के ढेर क्षेत्र की कहानी बयां करने को पर्याप्त हैं। वर्तमान में कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने लगे हैं। आपदा की मार से बेहाल तीर्थनगरी को इस कांवड़ यात्रा से कुछ राहत की उम्मीद है। मगर, निकायों का रवैया यही रहा तो शायद ही व्यापारियों, व्यवसायियों और तीर्थाटन व पर्यटन से रोजगार पाने वालों के चेहरे पर सुकून लौट पाएगा।
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नगर पंचायत जौंक में नए सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति कर दी गई है। उन्हें साफ-सफाई के लिए निर्देशित कर दिया गया है। सफाई के प्रति निकाय गंभीर है और जल्द ही व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी।
बीएल आर्य, अधिशासी अधिकारी, जौंक
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