कही बाघ आदमखोर तो नही!
दीपक धामी, टनकपुर: पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से शारदा रेंज में बाघ का आतंक छाया हुआ था। आखिर रव
दीपक धामी, टनकपुर: पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से शारदा रेंज में बाघ का आतंक छाया हुआ था। आखिर रविवार के उसने एक महिला को मौत के घाट उतार ही दिया। मौत के बाद अब क्षेत्र में बाघ के आदमखोर होने की चर्चा से लोग भयभीत है। वहीं वन विभाग बाघ को पकड़ने की कार्रवाई करने में जुटा हुआ है।
वन विभाग की जनगणना के अनुसार शारदा रेंज में केवल एक बाघ है। उसका इलाका खलढुंगा से सेनापानी तक है। यहां पिछले 37 सालों से बाघ ने किसी भी आदमी को नही मारा है। अचानक हुई घटना से जहां वन विभाग के कर्मचारी सकते में है तो वही ग्रामीण भयभीत है। ग्रामीणों ने बताया कि लंबे समय से बाघ गांव में हमले कर मवेशियों का मार रहा है। अब तक एक दर्जन से अधिक मवेशी मारे जा चुके है। दिन में हमला होने से यह तय हो गया है कि बाघ आदमखोर हो गया है। वह लगातार आदम बस्ती की ओर रूख कर रहा है।
वन विभाग अभी तय नही कर पा रहा है कि यह बाघ कौन सा है। उनकी जनगणना में जो बाघ है यह वही है या कोई घुसपैठियां। इसकी जांच में वन विभाग जुटा हुआ है। रेंजर ख्याली राम ने बताया कि पंजों के निशान के बाद ही यह बता पाना संभव होगा की कौन सा बाघ है। लेकिन जिस प्रकार महिला को मारा गया है उससे तय हो गया है कि यह बाघ ही है। गुलदार इतनी लंबी दूरी तक किसी को नही घसीटता है। बाघ की उम्र 10 साल के करीब होगी।
बसंती ने 37 साल पहले मारा मजदूर
टनकपुर : रेंजर केआर आर्य ने बताया कि आज से करीब 37 साल पहले 1980 में कलौनियां जंगल में बाघ ने ऐसे ही एक श्रमिक को अपना निवाला बनाया था। वह उसे घसीटते हुए जंगल को ले गया था। वन विभाग ने पिंजरा लगाकर इस बाघिन को पकड़ा। बसंत पंचमी के दिन पकड़े जाने से इसका नाम वन विभाग बसंती रखा था।
जंगल से लगे गांवों में अलर्ट
बाघ की घटना के बाद वन विभाग ने जंगल से लगे गांवों आम बाग, छीनी गोठ, नायकगोठ, मनिहार गोठ, गैडाखाली, उचौलीगोठ आदि में अलर्ट जारी कर दिया है। उन्होंने रात में अकेले न जाने को कहा है। वन विभाग बाघ को पकड़ने की तैयारी कर रहा है।
एक ही घटना के कारण बाघ को आदमखोर नही कह सकते। पूरे मामले की जांच की जा रही है। ग्रामीणों को सतर्क रहने को कहा गया है।
एके गुप्ता, डीएफओ
आदमखोर होने के लक्षण
1:- कैनाइन दांत का टूटना
2:- पंजे के नाखून टूटना
3:- उम्रदार होना