'तेरी तपस्या होय कुंवर, भगीरथ गंगा ले आए'
चम्पावत : शनिवार को दोपहर बाद चीर आरोहण के साथ ही काली कुमाऊं में खड़ी होली का आगाज हो गया है। पहले
चम्पावत : शनिवार को दोपहर बाद चीर आरोहण के साथ ही काली कुमाऊं में खड़ी होली का आगाज हो गया है। पहले रोज भक्ति व वेदांती होलियों की धूम रही। मुख्यालय के चाराल इलाके में ढोल झांझन के साथ ही होली के स्वर गूंज उठे हैं।
मालूम हो कि खड़ी होली की शुरुआत एकादशी के रोज से होती है। लेकिन उस रोज भद्रा होने के कारण शनिवार को दोपहर बाद चीर आरोहण हुआ। छह दिवसीय इस आयोजन में चीर आरोहण और फाग लगाने की परंपरा है। चाराल क्षेत्र के देवल में कैलाश पांडेय के आवास पर पंडित जगदीश तिवारी ने विधि विधान से चीर आरोहण कराया। इसके अलावा नगर क्षेत्र के मल्ली हाट, तल्लीहाट और ग्रामीण इलाकों के कुलेठी, ढकना, खर्ककार्की, चैकुनी, कलनगांव, चौकी, फुंगर, मुडियानी आदि क्षेत्रों में भी कई स्थानों पर चीर गाड़ी गई। इस मौके पर भक्ति व वेदांती होलियों का गायन हुआ। खड़ी होली की शुरुआत गणेश वंदना से हुई। 'तुम विध्न हरो गणराज.। सिद्ध करो महराज होली के दिनन में। तुम तो भई तपवान कालिका कलयुग में अवतार भई.। तेरी तपस्या होय कुंवर भगीरथ गंगा ले आए। शिव के मनमाहि बसे काशी। तथा हरि धरै मकुट खेलैं होरी' आदि होलियों की गूंज रही।
होल्यारों ने घर-घर जाकर होली गायन शुरू कर दिया है, जो पूर्णिमा को होली दहन तक जारी रहेगा। पर्वतीय क्षेत्र में इस बार पांच मार्च को होलिका दहन और 6 मार्च को छलड़ी है। इधर, होली के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में खासी रौनक देखने को मिल रही है।