अस्पताल से तो अच्छी 108 एंबुलेंस
चम्पावत : जिला अस्पताल में प्रसव पीड़ित महिलाओं के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है। हालत गंभीर न होने पर भी
चम्पावत : जिला अस्पताल में प्रसव पीड़ित महिलाओं के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है। हालत गंभीर न होने पर भी उन्हें हायर सेंटर के लिए रेफर किया जा रहा है। ऐसी महिलाओं के लिए एंबुलेंस 108 वरदान साबित हो रही है। अधिकांश महिलाएं एंबुलेंस में ही बच्चों को जन्म दे रही हैं। पिछले डेढ़ माह में एंबुलेंस में आठ बच्चों ने दुनिया में कदम रखा। शुक्रवार की सुबह भी एक महिला ने एंबुलेंस में ही बेटे को जन्मा।
जिला अस्पताल में तीन महिला चिकित्सक व आधा दर्जन से अधिक स्टाफ नर्स तैनात हैं। बावजूद इसके सभी गर्भवती महिलाओं का प्रसव जिला अस्पताल नहीं कराया जाता। चिकित्सक सामान्य स्थिति में भी महिला को हायर सेंटर रेफर कर दे रहे हैं। महिला की हालत सामान्य थी, इस बात की तस्दीक इस बात से होती है कि अधिकांश महिलाएं एंबुलेंस 108 के भीतर ही बच्चे को जन्म दे देती हैं। डेढ़ माह में एंबुलेंस के भीतर आठ बच्चे पैदा हुए हैं। शुक्रवार की सुबह भी ग्राम मुड़ियानी की नीता देवी पत्नी राजेंद्र ने एंबुलेंस में बेटे को जन्म दिया। नीता को सुबह चार बजे एंबुलेंस 108 से जिला अस्पताल लाया गया। महिला चिकित्सक अस्पताल नहीं पहुंचीं। इस पर स्टाफ नर्स ने महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं किया। करीब पांच बजे महिला को हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया। एंबुलेंस 108 में तैनात ईएमटी गोपाल बुराठी ने बताया कि महिला को खटीमा को ले जाया जा रहा था, लेकिन बनलेख के समीप उसने बच्चे को जन्म दिया। सुरक्षित प्रसव कराने के बाद महिला को जिला चिकित्सालय में भर्ती करा दिया गया।
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इन महिलाओं एंबुलेंस में जने बच्चे
नवंबर माह में पांच महिलाओं ने एंबुलेंस 108 में बच्चे जने। सात नवंबर को चैकुनी निवासी ममता देवी पत्नी नवीन, नौ को मुड़ियानी निवासी माया देवी पत्नी महेश राम, 13 को पल्सों निवासी मंजू जोशी पत्नी माधवानंद जोशी, 15 को दियूरी निवासी तारा देवी पत्नी महेश राम व 25 नवंबर को बाराकोट निवासी गोदावरी पत्नी रमेश ने शिशु को जन्म दिया। वहीं दिसंबर माह में अब तक तीन महिलाओं ने एंबुलेंस में बच्चों को जन्म दिया है। तीन दिसंबर को अमोड़ी निवासी पुष्पा देवी पत्नी गणेश, 16 को नरियालगांव के खर्क निवासी कमला देवी पत्नी मुकेश व 19 दिसंबर को मुड़ियानी निवासी नीता देवी पत्नी राजेंद्र ने बच्चे को जन्म दिया।
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बीडीसी सदस्य की मौत के बाद बढ़ा ग्राफ
चौड़ाख्याली की बीडीसी सदस्य निर्मला पंगरिया की प्रसव के दौरान मौत होने के बाद प्रसव पीड़ित महिलाओं को रेफर करने का ग्राफ काफी बढ़ गया है। ऐसा नहीं है कि जिला अस्पताल में प्रसव नहीं होते हैं, लेकिन हालात सामान्य होने पर महिला को रेफर करने से परिजनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें आर्थिक नुकसान भी होता है। अस्पताल कर्मी ही दबी जुबान से कहते हैं कि निर्मला की मौत के बाद से महिला चिकित्सक व स्टाफ नर्स रिस्क लेने से डर रही हैं।