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मां वैष्णवी के जयकारों से गूंजी नेपाल सीमा

चम्पावत: नेपाल सीमा से लगे मडलक क्षेत्र का प्रसिद्ध वैष्णवी मेला हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। विभिन

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 10:49 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 10:49 PM (IST)
मां वैष्णवी के जयकारों से गूंजी नेपाल सीमा

चम्पावत: नेपाल सीमा से लगे मडलक क्षेत्र का प्रसिद्ध वैष्णवी मेला हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। विभिन्न गांवों से देमैत (देवी का मायका) बुंगा पहुंचे जत्थों व रथों ने मंदिर की परिक्रमा कर लोगों को आशीर्वाद दिया। मेले में प्रशासन व ग्रामीणों ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए थे। मेले में मडलक, बगौटी, सेलपेडू, सुनकुरी, मजपीपल, कन्टुकरा, सागर, धौनी बुंगा, गुरेली, चामा, डुंगरालेटी, रौल-धौन, गुडमांगल, जमरसों, बड़म, केलानी, ककरतोला, सल्टा सहित दर्जनों गांवों के लोगों ने शिरकत कर पुण्य लाभ अर्जित किया। मेले का मुख्य आकर्षण मजपीपल, मडलक व बगौटी से निकले देवी रथ व जत्थे रहे।

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दोपहर 1 बजे सेलपेडू से निकले जत्थे ने मडलक पहुंच कर देवी मंदिर की परिक्रमा की। इस जत्थे में सेल्ला, केलानी, सुनकुरी, रजवा आदि गांवों के सैकड़ों लोग शामिल थे। सीमांत गांव बगौटी में देवी ने अवतरित होकर जत्थे को चलने का आदेश दिया। दुर्गम पहाड़ियों को पार करते हुए जत्था मजपीपल पहुंचा जहां मजपीपल के देवी रथ के साथ जत्थे का मिलन हुआ। यहां से मजपीपल के डोले के साथ बगौटी के जत्थे ने मडलक की ओर प्रस्थान किया। मडलक देवी मंदिर पहुंचने के बाद जत्थों व डोलों द्वारा मंदिर परिसर की परिक्रमा की गई। परिक्रमा में मडलक, बगौटी व मजपीपल के जत्थे व देवी रथ शामिल थे। उसके बाद तीनों रथों ने देमैत बुंगा की ओर प्रस्थान किया। बुंगा पहुंच कर यहां सागर गांव के सेल्ला लोगों द्वारा मायके पक्ष की भूमिका निभाते हुए मां भगवती व काली के रूप में अवतरित डांगरों को वस्त्र भेंट किए गए। डोलों में सवार देव डांगरों ने देवी के मायके वालों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया। मायके पक्ष के सागर गांव के सेल्ला लोगों द्वारा रथों व जत्थों को विदाई दी गई। जत्थों व देव रथों के मडलक स्थित मुख्य मंदिर पहुंचने के बाद देव डांगरों द्वारा श्रद्धालुओं को दर्शन देकर मन चाहे वरदान का आशीर्वाद दिया।

मेले को शांतिपूर्वक संपन्न कराने में मेला कमेटी के अध्यक्ष पवन कुमार जोशी, सचिव शंकर दत्त पांडेय, ग्राम प्रधान भुवन चन्द्र, पूरन चन्द्र पंत, सुभाष राम, हरीश सिंह, संतोक रावत, डा. सतीश चन्द्र पांडेय, बद्री सिंह सौन, विक्रम सामंत, नरसिंह सौन, बहादुर चन्द, अनिल पांडेय, विशन दत्त भट्ट, प्रवीण पांडेय, चेतराम, अमर सिंह, धर्मानंद पांडेय, बसंत उपाध्याय, खष्टी पांडेय, दीनानाथ पांडेय, प्रीतम सिंह आदि का योगदान रहा।


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