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दिवाली पर सीएम ने दी 'रोशनी' की सौगात

चम्पावत : सूबे के सीएम हरीश रावत ने दिवाली पर रोशनी की सौगात दी है। एक दशक से बिछी लाइन में करंट का

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 09:36 PM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 09:36 PM (IST)
दिवाली पर सीएम ने दी 'रोशनी' की सौगात

चम्पावत : सूबे के सीएम हरीश रावत ने दिवाली पर रोशनी की सौगात दी है। एक दशक से बिछी लाइन में करंट का इंतजार पूरा होने से कूर्म चोटी पर बसा मुख्यालय का क्रांतेश्वर धाम बिजली से जगमग हो उठा है।

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ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं के तहत वर्ष-2004-05 में विद्युत लाइन की स्वीकृति मिली थी और वर्ष 2007 में इसका निर्माण हुआ। लेकिन छीड़ापानी जा रही लाइन से जोड़ने को लेकर आई आपत्ति के चलते यह लाइन मुख्य लाइन से नहीं जोड़ी जा सकी। लाइन को जोड़ने के लिए मंदिर के पुजारियों सहित तमाम सामाजिक कार्यकर्ता विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता से लगातार मांग कर रहे थे। लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिलता था।

इस माह जब चम्पावत जिला विकास संघर्ष समिति का शिष्टमंडल सीएम हरीश रावत से देहरादून में मिला तो अन्य मांगों के साथ ही पुजारी डीके पांडेय और बसंत तड़ागी ने क्रांतेश्वर धाम की बिजली का मुद्दा उठाया। सीएम ने उसी समय पावर कारपोरेशन के महानिदेशक को अविलंब क्रांतेश्वर धाम में विद्युत सुचारू करने के निर्देश दिए। सीएम के आदेश के बाद तो विद्युत महकमे ने भी बिजली की जैसी तेजी दिखाई और क्रांतेश्वर धाम की लाइन को मुख्य लाइन छीड़ापानी से जोड़ते हुए मंदिर गेट तक व्यवस्था सुचारू कर दी। लाइन जोड़ने में चार अतिरिक्त पोल भी लगाने पड़े। बहरहाल, दिवाली पर क्रांतेश्वर धाम में बिजली की सौगात पर मंदिर के महंत व पुजारी बेहद प्रसन्न हैं और उन्होंने सीएम का आभार जताया है। साथ ही विद्युत विभाग से मांग की है कि मंदिर गेट से परिसर तक एक अतिरिक्त पोल लगाया जाए।

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भगवान विष्णु ने लिया था कूर्म अवतार

चम्पावत : स्कंद पुराण में क्रांतेश्वर धाम की महिमा का बखूबी वर्णन है। क्रांतेश्वर चोटी पर भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लेकर तपस्या की थी। इसी कूर्म अवतार के चलते चम्पावत का यह क्षेत्र 'कुमूं' कहा जाता है और चम्पावत को कुमाऊं की उत्पत्ति का शहर।

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चम्पावत का नैसर्गिक सौंदर्य अद्भुत

चम्पावत : क्रांतेश्वर धाम से जिला मुख्यालय का नैसर्गिक नजारा अद्भुत दिखता है। छह हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित इस धाम से पूरे नगर की टोपोग्राफी देखने को मिलती है। ऐसा लगता है कि मानो, कटोरे नुमा कैनवास पर प्रकृति ने खुद चित्रकारी की हो।


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