रूढि़वादिता : छोटी माता का इलाज नहीं करवा रहे परिजन
लोहाघाट : नेपाल सीमा से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों बच्चे वाइरल फीवर व छोटी माता की बीमारी की चपेट से नहीं उबर पाए हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर बच्चों का उपचार कर रही है, पर बीमारी पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। बताया जा रहा है कि कई लोग छोटी माता से ग्रसित बच्चों का उपचार नहीं करवा रहे हैं। पहाड़ में अब भी यह मानने वालों की कमी नहीं है कि छोटी माता का मेडिकल उपचार करने से बीमारी बढ़ जाती है। लोगों की यह रूढि़वादिता स्वास्थ्य विभाग के लिए सिर दर्द बन गई है।
सोमवार को बगौटी, सल्टा, मडलक आदि गांवों से वाइरल फीवर से ग्रसित दो दर्जन बच्चों को उनके अभिभावक उपचार के लिए लोहाघाट के विभिन्न अस्पतालों में लाए। कुछ लोगों ने ब्लाक प्रमुख योगेश मेहता से मुलाकात कर उन्हें इसकी जानकारी दी। ब्लाक प्रमुख ने सीएमओ डॉ. हरीश चंद्रा को दूरभाष पर क्षेत्र में फैली बीमारी के बारे में अवगत कराया। सीएमओ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम क्षेत्र में लगातार बच्चों का उपचार कर रही है। लेटी, मडलक, मड़चमार आदि गांवों में नि:शुल्क शिविर भी लगाए जा चुके हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोग रूढि़वादिता के कारण छोटी माता बीमारी से ग्रसित बच्चों का परिजन उपचार नहीं करवा रहे हैं, जिस कारण समस्या पैदा हो रही है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के अधिकांश बच्चों में मिलाजुला इंफेक्शन वायरस है। 18 सितंबर को क्षेत्र में फिर से स्वास्थ्य शिविर प्रस्तावित है। उन्होंने सभी लोगों से बच्चों का उपचार करवाने की अपील की है। बताया कि छोटी माता का कारगर उपचार चिकित्सकीय इलाज से ही संभव है।