मौसम की मार ने रसीले सेब का स्वाद कर दिया फीका
मौसम की मार ने इस बार चमोली के जोशीमठ के रसीले व मीठे डिलीशियस सेब का स्वाद फीका कर दिया है। जोशीमठ में सेब की पैदावार में खासी गिरावट आई है।
जोशीमठ(चमोली), [जेएनएन]: मौसम की मार ने इस बार चमोली के जोशीमठ के रसीले व मीठे डिलीशियस सेब का स्वाद फीका कर दिया है। जोशीमठ में सेब की पैदावार में खासी गिरावट आई है। हालत यह है कि सेब उत्पादक भी बाजार से खरीदकर सेब का स्वाद लेने को मजबूर हैं। जोशीमठ में सेब का उत्पादन 3200 मीट्रिक टन से गिरकर मात्र 400 मीट्रिक टन रह गया है।
भारत-तिब्बत सीमा से लगे जोशीमठ विकासखंड के मलारी, परसारी, बड़गांव, जेलम, कोसा, सुनील, औली, उर्गम घाटी सेब उत्पादन के अग्रणी क्षेत्र माने जाते हैं। अधिकतर गांवों में सेब का उत्पादन किया जाता है और लोगों की आर्थिकी का यह बड़ा जरिया है। इस बार मौसम की मार से सेब उत्पादकों के चेहरे बुझे हुए हैं। जोशीमठ में प्रतिवर्ष 3200 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन किया जाता है।
खासकर डिलीशियस प्रजाति का रसीला सेब जोशीमठ की पहचान है। इसके अलावा रैमर, मक्खनठोस, ग्रीन डिलीशियस, रेड डिलीशियस प्रजातियों के सेब भी यहां उगाए जाते हैं। मानसून के दौरान इस वर्ष जोशीमठ में भारी ओलावृष्टि हुई, जिससे सेब के पेड़ों से फूल पूरी तरह से झड़ गए। यही वजह रही कि इस वर्ष सेब का उत्पादन 3200 से घटकर 400 मीट्रिक टन पर सिमट गया।
जोशीमठ के सुनील गांव के सेब उत्पादक लक्ष्मण सिंह पंवार प्रतिवर्ष 10 से लेकर 15 क्विंटल तक सेब का उत्पादन करते हैं। उनका कहना है कि इस बार मात्र एक क्विंटल सेब का उत्पादन ही हो पाया। यह सेब भी रिश्तेदारों को बांटने के लिए पूरा नहीं हो पाया। अग्रणी सेब उत्पादक जेलम गांव निवासी इंद्र सिंह बिष्ट कहते हैं कि मैं 15 साल से सेब का उत्पादन कर रहा हूं। प्रतिवर्ष 25 क्विंटल सेब बाजार तक पहुंचाता हूं। इसके अलावा बचा हुए सेब गांव, घरों में बांटता हूं।
इस बार चार क्विंटल सेब का उत्पादन ही हो पाया है। जिला उद्यान अधिकारी नरेश यादव ने बताया कि जोशीमठ में इस बार मौसम की मार से मात्र 400 मीट्रिक टन सेब ही बाजार तक पहुंच पाया है। इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी व शासन को भेज दी गई है।
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