नसबंदी शिविर से बगैर ऑपरेशन के बैरंग लौटे सभी 60 लोग
स्वास्थ्य महकमे की ओर से आयोजित नसबंदी शिविर में पहुंचे साठ लोगों को बगैर आपरेशन के ही वापस लौटना पड़ा। ऐन वक्त पर पता चला कि शिविर में बेहोशी का इंजेक्शन ही नहीं है।
जोशीमठ, चमोली [जेएनएन]: स्वास्थ्य महकमे के भी अजीब गरीब कारनामे हैं। महकमें की ओर से आयोजित नसबंदी शिविर में पहुंचे साठ लोगों को बगैर आपरेशन के ही वापस लौटना पड़ा। इससे सरकारी विभागों की कार्यशैली पर भी सवाल उठना लाजिमी है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जोशीमठ में ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों के पुरुष-महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन करने के लिए शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में शामिल होने के लिए दूर दराज के गांवों से करीब 60 पुरुष और महिलाएं पहुंची।
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ऐन वक्त पर पता चला कि शिविर में बेहोशी का इंजेक्शन ही नहीं है। ऐसे में किसी का भी ऑपरेशन नहीं हो सका। इसके बाद ग्रामीणों को बैरंग लौटना पड़ा।
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यही नहीं, नसबंदी के लिए कर्णप्रयाग चिकित्सालय से डॉ.राजीव शर्मा भी जोशीमठ सीएचसी में पहुंच गए थे। परंतु पहला ऑपरेशन करने के लिए जब बेहोशी का इंजेक्शन फोटविन व लिग्नोकेएन मंगाया गया तो पता चला कि अस्पताल के स्टोर में बेहोशी व पीड़ा दूर करने के ये इंजेक्शन हैं ही नही।
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इसके अलावा सीएचसी में सोमवार को ब्लड टेस्ट करने वाले कर्मचारी के न होने के कारण ब्लड टेस्ट की सुविधा भी नही थी। इससे अस्पताल में नसबंदी का आपरेशन करने आए लोगों में आक्रोश देखा गया।
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जोशीमठ से 25 किमी दूर पल्ला जखोला से पहुंचे ग्रामीणो का कहना था कि गांव में जोर शोर से नसबंदी का प्रचार किया गया, परंतु यहां पहुंचने पर पता चला कि पीड़ा कम करने व बेहोशी का इंजेक्शन ही मौजूद नही है।
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उन्होंने जोशीमठ सीएचसी में इंजेक्शन न होने के मामले की जांच की मांग की है। सामुदायिक स्वास्थ्य मे तैनात डॉ.संजय गुप्ता का कहना है कि शिविर प्रस्तावित होने के बाद स्वास्थ्य महकमे से इंजेक्शन की मांग की गई थी, जो उन्हें उपलब्ध नही करा पाया।
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