तेरह दिन बाद मिला माणा से लापता ग्रामीण
संवाद सूत्र, बदरीनाथ: तेरह दिन से लापता उर्गम गांव के ग्रामीण पटूड़ी गांव के पास मिला। यह युवक अलकनंदा को पार करने की कोशिश कर रहा था। कई घंटों की मशक्कत के बाद एसडीआरएफ के जवानों ने रस्सियों के सहारे युवक को नदी के दूसरी तरफ से निकाला। हालत खराब होने पर उसे लामबगड़ के जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल वह बोलने की स्थिति में नहीं है।
पांच सितंबर को उर्गम गांव की गौरा देवी डोली के साथ बदरीनाथ के निकट माणा गया उर्गम गांव का निवासी गोपाल मेहर (32 वर्ष) संदिग्ध परिस्थितियों में रात के समय लापता हो गया था। इस मामले में गौरा देवी डोली समिति के अध्यक्ष बहादुर सिंह रावत ने बदरीनाथ थाने में ग्रामीण की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी लिखवाई थी। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद परिजन, ग्रामीण व पुलिस लगातार उसकी खोजबीन में जुटे थे। गुरुवार की सुबह करीब दस बजे माणा गांव से 25 किलोमीटर दूर पांडुकेश्वर की ओर पटूड़ी गांव के नीचे अलकनंदा नदी के किनारे ग्रामीणों ने उसे अलकनंदा की दूसरी तरफ देखा। पिछले साल आई आपदा के बाद पुल टूटने से पटूड़ी गांव का संपर्क कटा हुआ है। इस गांव के लोग भी पलायन कर चुके हैं। ऐसे में यह युवक गांव की तरफ से नदी को पार कर दूसरी तरफ आने की कोशिश कर रहा था। ग्रामीणों ने उसे नदी पार न करने की हिदायत दी। इस पर वह नदी के किनारे ही सो गया।
ग्रामीणों ने तत्काल इसकी सूचना एसडीआरएफ को दी। सूचना पर करीब 11 बजे एसडीआरएफ के प्रभारी सतीश शर्मा के नेतृत्व में टीम मौके पर पहुंची। कड़ी मशक्कत के बाद दोपहर करीब एक बजे जवानों से रस्सियों के सहारे युवक को अलकनंदा नदी पार कराई। ग्रामीणों ने उसकी पहचान गोपाल मेहर के रूप में की है। एसडीआरएफ ने उसे लामबगड़ के जेपी अस्पताल में भर्ती कराया। बताया जा रहा है कि 13 दिनों से भूखा रहने के कारण ग्रामीण अभी बोलने की स्थिति में नहीं है।