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सीएम हरीश रावत ने माना, उत्तराखंड की सीमा में घुसे थे चीनी सैनिक

मुख्‍यमंत्री हरीश रावत ने चमोली जनपद में चीन सैनिकों की घुसपैठ की घटना की पुष्टि की। उन्‍होंने कहा यह चिंताजनक है। कहा कि मुझे यकीन है कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार संज्ञान लेगी।

By sunil negiEdited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 09:24 AM (IST)Updated: Sun, 31 Jul 2016 07:00 AM (IST)
सीएम हरीश रावत ने माना, उत्तराखंड की सीमा में घुसे थे चीनी सैनिक

चमोली, [जेएनएन]: एक बार फिर भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों के घुसपैठ का मामला सामना आया है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चमोली जनपद में चीन सैनिकों की घुसपैठ की घटना की पुष्टि की। उन्होंने कहा यह चिंताजनक है। हमारा बॉर्डर अपेक्षाकृत शांत रहा है। हम प्रारंभ से ही कहते रहे हैं यहां विजिलेंस बढ़ाने की जरूरत है। मैं समझता हूं कि इस मुद्दे पर भारत सरकार आवश्यक संज्ञान लेगी। उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों की घुसपैठ की सूचना बिलकुल सही है। सेंट्रल एजेंसी जैसे आर्मी को भी इसकी जानकारी है, लेकिन एक अच्छी बात यह है कि चीन सैनिकों ने वहां एक महत्वपूर्ण नाले को नहीं छुआ। मगर फिर भी उनकी सक्रियता है। सीएम ने कहा कि हमारे अधिकारी अपने रेवेन्यू लैंड को नापने के लिए गए थे। उन्होंने वहां चीनी सैनिकों की गतिविधियों को देखा है।

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दूसरी ओर, चमोली के जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने कहा कि टीम नियमित निरीक्षण पर गई थी, लेकिन उन्होंने इससे आगे कुछ कहने से इन्कार कर दिया। डीएम ने कहा कि 'निरीक्षण की रिपोर्ट गोपनीय है और इसे भारत सरकार को भेजा जाएगा।'

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बाड़ाहोती तक पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है। जोशीमठ से 103 किलोमीटर दूर मलारी होते हुए रिमखिम तक सड़क से पहुंचा जाता है। इसके बाद आठ किलोमीटर पैदल चलकर बाड़ाहोती आता है। प्रशासनिक टीम इस इलाके का साल में तीन बार निरीक्षण करती है। यह निरीक्षण दो बार गर्मियों और एक बार सर्दी में किया जाता है। इसी के तहत 19 जुलाई को जोशीमठ के उपजिलाधिकारी योगेन्द्र सिंह के नेतृत्व में 19 सदस्यीय दल बाड़ाहोती के लिए रवाना हुआ।

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सूत्रों के अनुसार 22 जुलाई को दल रिमखिम से आगे बढ़ा तो बाड़ाहोती के पास उन्हें कुछ चीनी सैनिक नजर आए। चीनी सैनिकों ने दल को वापस लौटने का इशारा किया। इस पर रिमखिम लौटा और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) को इसकी सूचना दी। बाड़ाहोती में चीनी सैनिकों की घुसपैठ का यह पहला मामला नहीं है। पिछले वर्ष भी यहां आए कुछ चरवाहों को चीनी सैनिकों ने मारपीट कर भगा दिया था।

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