दावे आसमान पर, धरातल में शून्य
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिले में डेंगू के तीन मामले सामने आ चुके हैं। यहां इलाज की सुविधा न हो
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिले में डेंगू के तीन मामले सामने आ चुके हैं। यहां इलाज की सुविधा न होने से तीनों पीड़ित देहरादून में इलाज करा रहे हैं। हालांकि डेंगू पीडि़त मैदानी क्षेत्रों से आए थे। फिर भी स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि यहां डेंगू से निपटने के लिए पूरे संशाधन है। जबकि हकीकत यह है कि चमोली जिले में डेंगू का इलाज तो दूर इसकी जांच की सुविधा भी नहीं है। ऐसे में डेंगू से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग के दावे जुदा है।
प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में जहां डेंगू जनता के लिए परेशानी का सबब बना है, लेकिन चमोली जिले डेंगू के टेस्ट के लिए श्रीनगर मेडिकल कॉलेज पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। चमोली जिले में अब तक डेंगू के तीन मामले सामने आए हैं। जोशीमठ, घाट व आदिबदरी क्षेत्र में एक एक मामले डेंगू के सामने आए हैं। बुखार के बाद इन लोगों ने देहरादून जाकर परीक्षण कराया तो डेंगू की पुष्टि होने के बाद पीडि़तों का इलाज चल रहा है। चमोली में प्रतिदिन हजारों पर्यटक आवाजाही कर रहे हैं। यही नहीं मैदानी क्षेत्रों में रोजगार के लिए गए लोग भी गांवों में आवाजाही करते हैं, लेकिन डेंगू जैसे जानलेवा बीमारी को लेकर चमोली में सरकार से कोई भी इंतजाम न किया जाना आश्चर्यजनक है। स्वास्थ्य विभाग की डेंगू से निपटने की तैयारियों पर नजर डाली जाए तो जिला चिकित्सालय में एक आर्थो वार्ड पर कागज चिपकाकर डेंगू वार्ड होने का दावा किया गया है, लेकिन इस वार्ड में ताला ही लटका है। जिले में डेंगू के परीक्षण के लिए कोई सुविधा नहीं है। यही कारण है कि अगर किसी पर डेंगू के लक्षण भी दिखते हैं तो वह यहां इलाज कराने के फेर में फंसने के बजाए मैदानी क्षेत्रों में ही इलाज के लिए जाना उचित समझता है। जिले में डेंगू प्रभारी व डिप्टी सीएमओ डॉ.पंकज जैन का कहना है कि जिले में मौसम में ठंडक व मच्छरों की कमी के चलते डेंगू जैसी बीमारी की संभावना कम है, लेकिन मैदानी क्षेत्रों से यहां आने वाले लोगों पर डेंगू का खतरा रहता है। डेंगू के लक्षण पाए जाने वाले लोग यहां परीक्षण की सुविधा न होने के कारण मैदानी क्षेत्रों में ही इलाज करना ठीक समझते हैं।