Move to Jagran APP

मंदिर में मुशर्रफ उकेर रहे गणेश की तस्वीर

देवेंद्र रावत, गोपेश्वर (चमोली) जोशीमठ के नृसिंह मंदिर के प्रांगण में 70 साल के मुशर्रफ लकड़ी पर भ

By Edited By: Published: Fri, 01 Jul 2016 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2016 01:00 AM (IST)
मंदिर में मुशर्रफ उकेर रहे गणेश की तस्वीर

देवेंद्र रावत, गोपेश्वर (चमोली)

loksabha election banner

जोशीमठ के नृसिंह मंदिर के प्रांगण में 70 साल के मुशर्रफ लकड़ी पर भगवान गणेश की तस्वीर उकेरने में मशगूल हैं। काम में इतने तल्लीन कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि आसपास कोई खड़ा है। 'आप कहां से हैं', हमारे इस सवाल से उनकी तंद्रा टूटी, बोले 'सहारनपुर से'। उनके चार अन्य साथी भी मंदिर के दरवाजों पर नक्काशी में व्यस्त हैं। इन पर नृसिंह, शिव और अन्य देवी देवताओं की तस्वीरें उकेरी जा रही हैं ताकि मंदिर का पौराणिक स्वरूप वैसा ही रहे। दरअसल, इन दिनों प्रसिद्ध नृसिंह मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है। 66 फीट ऊंचे मंदिर के दरवाजों और खिड़कियों के पट पर ये पांच मुस्लिम कारीगर एक माह से नक्काशी कर रहे हैं। छह माह में काम पूरा किया जाना है।

¨हदुओं के पलायन के कारण सुर्खियों में छाए कैराना (जिला शामली, उत्तर प्रदेश) के पड़ोसी जिले सहारनपुर के नेगछप्पर गांव के ये पांच कारीगर साम्प्रदायिक साहौर्द की मिसाल पेश कर रहे हैं। मुशर्रफ बताते हैं कि यह उनका पुश्तैनी कार्य है। उनके पिता इकरार अहमद भी अपने जमाने में नक्काशी के लिए प्रसिद्ध थे। यह हुनर उन्हें विरासत में मिला है। हालांकि उनका किसी मंदिर में नक्काशी का यह पहला अनुभव है। जोशीमठ आने की वजह बताते हुए 45 साल के अली हसन बताते हैं कि नक्काशी के फन के माहिर अब गिने चुने लोग ही हैं। आधुनिकता के दौर में इस तरह का काम कराने वालों की तादाद लगातार घट रही है। ऐसे में नई पीढ़ी भी इस हुनर से मुंह मोड़ रही है। वह कहते हैं कि 'मंदिर में दिखाए गए हमारे हुनर को लोग सदियों तक निहारेंगे।' धर्म की बात चली तो बोले 'बाबू जी गांधी जी ने कहा था ईश्वर अल्लाह तेरो नाम। नाम चाहे जो लो पुकारना तो उसी को है।' फरहाद, शाहनवाज और सोहेब कहते हैं कि जब उन्हें पता चला कि काम के लिए पहाड़ पर जाना है तो थोड़ी हिचक हुई, लेकिन जब पता चला कि मंदिर में नक्काशी करनी है तब हमने हां कर दी।

बदरी-केदार मंदिर समिति के सीइओ बीडी सिंह बताते हैं कि हम चाहते थे कि मंदिर के पौराणिक स्वरूप से छेडछाड़ न की जाए। इसके लिए ऐसे ही कारीगरों की जरूरत थी। पूरे उत्तराखंड में हमें इस तरह के कारीगर नहीं मिले। ऐसे में हमें पता चला की सहारनपुर के नेगछप्पर गांव में कुछ कारीगर हैं। संपर्क करने पर ये लोग तैयार हो गए। बीडी सिंह कहते हैं कि भगवान बदरीनाथ का यह क्षेत्र साम्प्रदायिक सौहार्द को आगे बढ़ाता रहा है। भगवान बदरीविशाल की आरती लिखने वाले नंदप्रयाग के फखरुद्दीन सिद्दीकी बदरीद्दीन के नाम से प्रसिद्ध हुए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.