जवानों ने थामी जिंदगी की डोर
हरीश बिष्ट, गोपेश्वर (चमोली) मेरठ के व्यवसायी 52 वर्षीय गुरुदयाल सिंह कुदरत के रौद्र रूप से अभी त
हरीश बिष्ट, गोपेश्वर (चमोली)
मेरठ के व्यवसायी 52 वर्षीय गुरुदयाल सिंह कुदरत के रौद्र रूप से अभी तक सहमे हुए हैं। हेमकुंड साहिब के दर्शनों के लिए आए गुरुदयाल उन सैकड़ों यात्रियों में से एक हैं जिन्हें भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) के जवानों हेमकुंड साहिब मार्ग पर रस्सी के सहारे उफनती लक्ष्मण गंगा पार कराई। पहली बार सपरिवार यात्रा पर आए गुरुदयाल बताते हैं कि 'घांघरिया में पत्नी और बच्चे तो हेलीकाप्टर से गोविंदघाट चले गए। मैं पैदल आया।' वह कहते हैं कि यह वाहे गुरु का ही आशीर्वाद है कि आज मैं जिंदा हूं।
श्री हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया में फंसे लोगों के लिए आइटीबीपी व एसडीआरएफ के जवान भगवान साबित हो रहे हैं। हालांकि घांघरिया में फंसे लोगों को निकालने के लिए सरकार ने हेलीकॉप्टर की मदद भी ले रही है, लेकिन यात्रियों की तादाद ज्यादाहोने के कारण पैदल मार्ग से भी निकाला जा रहा है। हेमकुंड साहिब के प्रमुख पड़ाव घांघरिया के पास लक्ष्मण गंगा पर रविवार दोपहर सेना ने अस्थायी पुल तैयार कर लिया है, मगर सुबह यात्रियों को जवानों ने रस्सियों की मदद से लक्ष्मण गंगा पार करायी।
हेलीकॉप्टर से गोविंदघाट पहुंची गुरुदयाल की पत्नी गुरुमीत कौर बार-बार वाहे गुरु का शुक्रिया अदा करते हुए कहती हैं कि लग ही नहीं रहा था कि सुरक्षित वापस आएंगे। वह बताती हैं कि घांघरिया में ठहरने की तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन मौसम कब तक राहत देगा कहा नहीं जा सकता। गुरुमीत कहती हैं कि हेलीकॉप्टर से जो नजारा उन्होंने देखा उससे रूह कांप गई। नदी का उफान तो भयावह है ही, रास्ते भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
रघुवीरपुरी (अलीगढ़ उत्तर प्रदेश) 48 साल के तारवेंद्र सिंह पहले भी कई बार हेमकुंड साहिब की यात्रा कर चुके हैं। तारवेंद्र बताते हैं कि दर्शनों के बाद जब वह घांघरिया लौटे तो पता चला कि लक्ष्मण गंगा पर बना पुल बह चुका है। नदी उफान पर थी उसे पार करने की हिम्मत नहीं हो रही थी, लेकिन जवानों ने हौसला दिया और सहारा देकर रस्सी की मदद से पार पहुंचाया। वह बताते हैं कि रास्ते जगह-जगह क्षतिग्रस्त हैं। जरा सी चूक जीवन पर भारी पड़ सकती है।