निगम की लापरवाही स्वास्थ्य पर भारी
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: पेयजल निगम की लापरवाही लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। नौ वर्ष पूर्व स
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: पेयजल निगम की लापरवाही लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। नौ वर्ष पूर्व स्वीकृत अमृतगंगा पेयजल योजना की मुख्य लाइन का निर्माण तो किसी तरह विभाग ने कर दिया है। लेकिन मुख्य स्रोत पर ट्रीटमेंट प्लान समेत अन्य कार्य ही शुरू नहीं हो पाए है। खर-पतवार के साथ दूषित पानी भी उपभोक्ताओं की रसोई तक पहुंच रहा है। इससे संक्रामक बीमारियां का खतरा बढ़ गया है।
2006 में गोपेश्वर नगर की पेयजल समस्या को दूर करने को 756.60 लाख रुपये की लागत से अमृतगंगा पेयजल योजना को स्वीकृति मिली। आठ वर्ष के लंबे इंतजार के बाद 2014 में विभाग ने गोपेश्वर तक पेयजल योजना की मुख्य लाइन का निर्माण कर पुरानी पेयजल लाइनों को इससे जोड़ दिया। इससे नगर की 27 हजार आबादी को तीन एमएलडी अतिरिक्त पानी भी मिलना शुरू हो गया है। लेकिन मुख्य लाइन पर घटिया गुणवत्ता के पाइप लगने से लीकेज की समस्या बनी है। लोगों को दूषित पेयजल की आपूर्ति हो रही है।
जिला चिकित्सालय के आंकड़ों पर गौर करें तो दूषित पानी पीने से पिछले तीन महीनों में 480 लोग पेट की बीमारी, उल्टी दस्त, पीलिया रोगों से ग्रसित होकर इलाज के लिए पहुंचे हैं।
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ये होने हैं कार्य
-बीएफजी (बोल्डर फीलिंग गैलरी)
-ट्रीटमेंट प्लान के तहत मुख्य स्रोत पर फिल्टर टैंक निर्माण
-नगर में पेयजल आपूर्ति के लिए वितरण लाइनों का निर्माण
-पेयजल वितरण के लिए गोपेश्वर नगर में पांच स्थानों पर टैंक निर्माण
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टैंक के नाम पर लाखों किए बर्बाद
पेयजल निगम गोपेश्वर ने लीसा फैक्ट्री बाइपास के निकट 12 लाख की लागत से पांच वर्ष पूर्व टैंक का निर्माण भी किया। मगर टैंक तक वितरण लाइन न पहुंचने से टैंक क्षतिग्रस्त होने लगा है। विभाग को फिर से इस स्थान पर टैंक का निर्माण करने में लाखों की धनराशि खर्च करनी पड़ेगी।
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वितरण लाइन का निर्माण अधर में
पेयजल निगम ने मुख्य लाइन का निर्माण तो किसी तरह कर दिया है। लेकिन नगर में वितरण लाइन बिछाने को लेकर गंभीर प्रयास नहीं हुए हैं। 15 किमी वितरण लाइन के निर्माण का मामला अभी भी लटका हुआ है।
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ठेकेदार ने लगाई चपत
पूर्व में पेयजल निगम ने मुख्य स्रोत पर ट्रीटमेंट प्लान निर्माण को निविदाएं आमंत्रित की थी। इसके लिए 99 लाख रुपये भी स्वीकृत हुए थे। एक ठेकेदार को कार्य सौंपते हुए 12 लाख का अग्रिम भुगतान भी किया गया। लेकिन ठेकेदार ने अभी तक कार्य शुरू नहीं किया। इसके उलट वह विभाग के खिलाफ न्यायालय चला गया है।
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दोगुनी हुई लागत
2006 में अमृतगंगा पेयजल योजना की लागत 756.60 थी। विभाग की लेटलतीफी के चलते 2015 तक इस योजना की लागत बढ़कर 1415.18 लाख रुपये हो गई है। अगर मुख्य स्रोत का निर्माण शुरू शुरू नहीं होता तो लागत में और इजाफा हो सकता है।
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'पेयजल निगम ने वितरण लाइन व टैंक निर्माण अभी तक नहीं किया है। घरों में आ रहे पानी में गंदगी की शिकायतें हैं। विभाग को निर्माण कार्य जल्द पूरा करने को कहा गया है।'-संदीप सिंह रावत, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद गोपेश्वर, चमोली
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'मुख्य स्रोत, टैंक निर्माण, वितरण लाइन निर्माण के लिए निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी है। जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। नगर में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए मुख्य स्रोत पर समय-समय पर सफाई अभियान चलाया जाता है।'
पीसी गौतम, अधिशासी अभियंता पेयजल निगम गोपेश्वर, चमोली
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'दूषित पानी पीने के बाद पेट, उल्टी, दस्त के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पीने के लिए मरीज उबला हुआ पानी या फिर फिल्टर पानी इस्तेमाल करें।'
डॉ. बीके शुक्ला, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला चिकित्सालय गोपेश्वर