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सर्द मौसम में सीएम के आदेश भी 'जाम'

देवेंद्र रावत, गोपेश्वर इधर कुदरत की मार, उधर सिस्टम से लाचार। चमोली जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र

By Edited By: Published: Mon, 19 Jan 2015 09:44 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jan 2015 09:44 PM (IST)
सर्द मौसम में सीएम के आदेश भी 'जाम'

देवेंद्र रावत, गोपेश्वर

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इधर कुदरत की मार, उधर सिस्टम से लाचार। चमोली जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में बर्फ से ढके पांच सौ गांवों के 50 हजार लोगों की स्थिति इन दिनों कुछ ऐसी ही है। मिट्टी तेल (कैरासिन ऑयल) न मिलने से चूल्हा जलाना भी मुश्किल हो गया है। मध्य दिसंबर में गोपेश्वर पहुंचे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अधिकारियों को हर हाल में 31 दिसंबर तक मिट्टी तेल का कोटा जारी करने के निर्देश दिए थे। समय सीमा समाप्त हुए पखवाड़े से ज्यादा बीत गया, लेकिन किसी के कानों पर जूं तक न रेंगी। मानों सर्द मौसम में मुख्यमंत्री के आदेश भी 'जम' गए हों। अफसरों का वही रटरटाया जवाब है। चमोली के प्रभारी जिलापूर्ति अधिकारी मोहन सिंह राणा बताते हैं कि 'कोटा कम मिलने के चलते जिले में तीन माह में एक गांव का नंबर आ रहा है। तेल का वितरण रोटेशन के आधार पर किया जा रहा है। सप्लाई आने पर सब कुछ दुरुस्त हो जाएगा।'

बर्फ से ढके गांवों के लिए जिंदगी इन दिनों किसी जंग से कम नहीं है। गांवों में बिजली-पानी की आपूर्ति ठप है। हिमाच्छादित सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी न के बराबर है। इससे गांवों को रसोई गैस की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है। जिन घरों में सिलेंडर हैं भी, रसातल में पहुंचे पारे के कारण उनमें भी गैस जम चुकी है। इसके लिए सिलेंडर पर गरम पानी उड़ेलना पड़ता है। आसपास सूखी लकड़ियों का भी अभाव है। यहां तक कि चूल्हा जलाने के लिए लकड़ियों पर पहले मिट्टी तेल डालना पड़ता है और अंधेरी रातों को रोशन करने के लिए भी कैरोसिन की जरूरत है।

जोशीमठ ब्लाक के ग्राम कलगोठ तक पहुंचने के लिए सड़क से 20 किमी पैदल चलना होता है। इसी गांव की 38 वर्षीय गृहणी रेखा देवी अपनी पीड़ा कुछ इन शब्दों में बयां करती हैं 'हमारे पास गैस कनेक्शन नहीं है। लकड़ी या मिट्टीतेल के सहारे ही चूल्हा जलता है, लेकिन तीन माह से यह भी नहीं मिला।'

विकासखंड घाट से 25 किमी दूर रामणी निवासी 80 वर्षीय हयात सिंह का दर्द भी यही है। वह कहते हैं 'परिवार में सात लोग हैं। ऐसे में चिंता यही है कि चूल्हा जले तो जले कैसे। रात भी अंधेरे में भी काट लेंगे, लेकिन पेट को तो खाना चाहिए ही।'

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ये है स्थिति

कुल मांग- प्रतिमाह 350 केएल

अक्टूबर, नवंबर व दिसंबर में आपूर्ति- प्रतिमाह 146 केएल

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केरोसीन वितरण

-रसोई गैस कनेक्शन वाले कार्डधारक को दो लीटर प्रति कार्ड

-बिना रसोई गैस कनेक्शन वाले कार्डधारक को पांच लीटर प्रति कार्ड

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-बर्फ से ढके क्षेत्र

ब्लाक जोशीमठ-तपोवन, पांडुकेश्वर, समूची उर्गम घाटी, सलूर डंग्रा, डमुक कलगोठ

ब्लो दशोली-निजमूला घाटी, कुंजौ मैकोट

ब्लाक घाट- रामणी, घूनी सुतौल कनोल पगना बैराकुंड

ब्लाक कर्णप्रयाग - कांडा मैखुरा

ब्लाक गैरसैंण-देवलकोट, भराड़ी सैंण

ब्लाक नारायणबगड़-रै, चोपता, उत्तरी कड़कोट

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'घाट के हिमाच्छादित क्षेत्रों में केरोसीन को लेकर लंबे समय से सप्लाई की मांग की जा रही है, लेकिन उपभोक्ताओं तक केरोसीन अभी नहीं पहुंच पाया है।

करण सिंह नेगी, ब्लाक प्रमुख घाट


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