नृसिंह मंदिर में होगी बदरीनाथ की पूजा
संवाद सूत्र, जोशीमठ: भगवान बदरी विशाल की शीतकालीन पूजा जोशीमठ नृसिंह मंदिर में ही होगी। नृसिंह मंदिर
संवाद सूत्र, जोशीमठ: भगवान बदरी विशाल की शीतकालीन पूजा जोशीमठ नृसिंह मंदिर में ही होगी। नृसिंह मंदिर में पूजा के बाद श्रद्धालु पांडुकेश्वर तक जाकर उद्धव व कुबेर के दर्शन करेंगे।
मंगलवार को उपजिलाधिकारी कार्यालय में आयोजित बैठक में पांडुकेश्वर, जोशीमठ के जन प्रतिनिधियों, बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति व प्रशासन की बैठक में निर्णय लिया गया कि बदरीनाथ धाम की शीतकालीन पूजा जोशीमठ नृसिंह मंदिर में की जाएगी। यात्रा नृसिंह मंदिर के बाद पांडुकेश्वर के लिए रवाना की जाएगी। श्रद्धालु यहां उद्धव व कुबेर के दर्शन व पूजा अर्चना करेंगे। बैठक में मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह ने कहा कि शीतकालीन यात्रा का मुख्य मकसद यहां के बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि मंदिर समिति के जो 50 कर्मचारी यात्राकाल के दौरान बदरीनाथ में अपनी सेवाएं देते रहे हैं उन्हें अब 12 महीने नौकरी मिलेगी। मंदिर समिति से जुड़े अन्य कर्मचारियों की सुविधाओं में भी विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंदिरों में शीतकालीन यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों की भूमिका भी तय की जाएगी। बीडी सिंह ने कहा कि शीतकालीन यात्रा को लेकर नृसिंह मंदिर जोशीमठ व योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में सफाई व्यवस्था की जा रही है। इन मंदिरों को सजाने का कार्य भी मंदिर समिति से किया जा रहा है। बैठक में चर्चा के दौरान जोशीमठ व पांडुकेश्वर के ग्रामीणों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। पांडुकेश्वर के लोगों का कहना था कि शीतकाल में भगवान बदरी विशाल की पूजा आज तक योगध्यान बदरी मंदिर में होती रही है। जोशीमठ के ग्रामीणों का कहना था कि शीतकाल में बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल जोशीमठ में ही रहते हैं। लिहाजा पूजा नृसिंह मंदिर में ही होनी चाहिए। ग्रामीणों के बीच हुई नोकझोंक को शांत करने के लिए एसडीएम एके नौटियाल को बीच बचाव करना पड़ा। बैठक में नगर पालिका अध्यक्ष रोहिणी रावत, तहसीलदार महावीर भंडारी, देव पुजाई समिति के अध्यक्ष गोविंद प्रसाद भट्ट, व्यापार मंडल अध्यक्ष उमेश लाल शाह, रमेश सती, बलदेव मेहता, दिगंबर पंवार, भगवती प्रसाद नंबूदरी सहित कई लोग मौजूद थे।