यात्रा फीकी तो आमदनी भी घटी
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर : पिछले साल की आपदा खौफ इस साल भी यात्रा पर मंडराता रहा। इसलिए इस वर्ष मात्र
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर : पिछले साल की आपदा खौफ इस साल भी यात्रा पर मंडराता रहा। इसलिए इस वर्ष मात्र पौने दो लाख यात्री ही भगवान बदरीनाथ के दर्शन को आए, जबकि गत वर्ष चार लाख इक्यावन हजार यात्रियों ने भगवान के दर्शन किए। बदरीनाथ धाम के कपाट 27 नवंबर को बंद होने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही बदरीनाथ से मंदिर समिति का कार्यालय जोशीमठ स्थानांतरित हो गया है।
पिछले साल की आपदा के बाद इस वर्ष यात्रा से सभी को उम्मीदें थी। परंतु आपदा का खौफ ही कहें कि लोगों ने भगवान बदरीनाथ की यात्रा को लेकर उतना उत्साह नहीं दिखा। मंदिर समिति के सोमवार तक के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो इस वर्ष यात्रा सीजन में बदरीनाथ धाम में एक लाख पिच्चतर हजार आठ सौ बयासी यात्री ही दर्शनों के लिए पहुंचे है। यात्रियों ने भगवान बदरीनाथ के चरणों में चार करोड़ उन्नीस लाख की राशि दान की है। वहीं वर्ष 2013 में आपदा से पूर्व और उसके बाद तक कुल चार लाख इक्यावन हजार यात्रियों ने भगवान बदरीनाथ आ कर छह करोड़ की राशि का चढ़ावा चढ़ाया था। यात्रा को लेकर लोगों के उत्साह में कमी का प्रमुख कारण बदरीनाथ तक सड़क मार्ग के खस्ताहाल होने को ज्यादा जिम्मेदार माना जा रहा है। जोशीमठ पांडुकेश्वर से बदरीनाथ के बीच लामबगड़ क्षेत्र में इस प्रकार हल्की बारिश में भी पहाड़ी से हुए भूस्खलन व नाले में हाईवे बहने के चलते हाईवे अवरुद्ध होता रहा। इससे प्रशासन को बार-बार बदरीनाथ की यात्रा भी हाईवे खुलने तक रोकनी पड़ी थी। यह भी कारण रहा कि बदरीनाथ धाम की यात्रा को लेकर देश दुनिया में गए नकारात्मक संदेश ने श्रद्धालुओं की राह रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
टोकन सिस्टम भी रहा स्थगित
बदरीनाथ धाम में यात्रियों की सुविधाओं को लेकर 2013 में दर्शनों के लिए टोकन सिस्टम शुरू किया गया था। इसके तहत कंप्यूटरीकृत टोकन के माध्यम से यात्रियों को दर्शन का समय आवंटित किया जाता था। इससे यात्रियों को दर्शनों के लिए लंबी लाइन से छुटकारा भी मिला था, लेकिन इस वर्ष यात्रियों की कमी के चलते टोकन सिस्टम को स्थगित कर दिया गया।
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बदरीनाथ धाम में इस वर्ष अब तक एक लाख पिच्चतर हजार आठ सौ बयासी यात्री दर्शनों के लिए पहुंचकर मंदिर की आय चार करोड़ उन्नीस लाख हुई है। 2013 में आपदा से पूर्व यात्री जरूर अधिक आए थे।
बीडी सिंह, सीईओ बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति