वन्य जीवों से सुरक्षा को बनेगी नीति
राज्य ब्यूरो, देहरादून: लेंटाना व घास सहित सुअर, नील गाय व बंदर जैसे वन्य जीवों से खेती को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए जल्द ही ठोस नीति तैयार की जाएगी। जंगलों से सटे गांवों व खेतों के किनारे सुरक्षा दीवार बनाने के लिए भी तीन वर्षीय कार्ययोजना बनाई जाएगी। साथ ही, हमारा पेड़ हमारा धन योजना को आम आदमी से जोड़कर और आकर्षक बनाया जाएगा। इसके लिए अब 300 रुपये प्रति पेड़ व तीन वर्ष की अवधि निर्धारित की जाएगी।
गुरुवार को वन विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अधिकारियों को उक्त निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने वर्षाजल संग्रहण योजना को प्रभावी बनाने पर जोर देते हुए कम धनराशि में अधिक लाभकारी जलाशय बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक डीएफओ अपने क्षेत्र में जल संग्रहण योजना को प्रभावी ढंग से लागू करे। इस योजना की सफलता से ही आसपास के गांव व नदियों में जलस्तर बढ़ सकेगा। जंगलों से लगी सड़कों के किनारे नालियां बनाकर उसके पानी को जंगलों की ओर डायवर्ट किया जाए। साथ ही, पेड़ों के कटान के बाद खाली भूमि पर तत्काल वृक्षारोपण किया जाए।
उन्होंने चारागाह योजना को वन पंचायतों से जोड़ते हुए ठोस नीति बनाने के निर्देश दिए। वन पंचायतों व ग्राम सभाओं के बीच बेहतर समन्वय के लिए कार्यशालाएं आयोजित करने को भी कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए विकास करना होगा। राज्य के सीमित संसाधनों को बढ़ाने के लिए वन विभाग को अभिनव योजनाएं बनानी होंगी। प्रदेश में ऐसे नेचर जोन बनाए जाएं, जो शत प्रतिशत प्रदूषणमुक्त क्षेत्र हों। इसे पर्यटन से भी जोड़ा जा सकेगा। वन विभाग को गेस्ट हाउसों को पर्यटन के अनुकूल तैयार करने होंगे।
विभाग मिक्स फारेस्ट के कांसेप्ट पर काम करे, ताकि वनों में चीड़ से होने वाले नुकसान से बचा जा सके। राजाजी पार्क, कार्बेट पार्क व अन्य स्थानों पर रहने वाले गूर्जर व अन्य प्रभावितों के पुनर्वास के लिए भी नीति बनाने के निर्देश दिए। बैठक में वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख वन संरक्षक एसएस शर्मा आदि मौजूद थे।