पूजा-अर्चना के साथ पाथावार नंदाजात शुरू
संवाद सहयोगी, गैरसैंण: दुबांकुर घट स्थापना के साथ पाथावार नंदाजात का शुभारंभ हो गया है। गैरसैंण स्थित नंदा मंदिर में शनिवार सांय परंपरागत रूप से पूजा-अर्चना के साथ नंदा के धर्मभाई लाटू तथा हित देवता का आह््वान कर तांबे के घट में सप्तधान्य ब्योडा अंकुरित करने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। मान्यता है कि क्षेत्र की खुशहाली व कृषिरक्षण के निमित ब्योडा डालने की पंरपरा सदियों से चली आ रही है।
इस मौके पर मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है, साथ ही श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया है। मंदिर के पुजारी जर्नादन गौड़ के अनुसार पूजा में क्षेत्र के 84 गांवों से देवी-देवता शामिल होंगे। सोमवार को ग्रामीण नंदा मां को मायके बुलाने के लिए नंदाठोंक पर्वत की आठ किमी खड़ी पदयात्रा में भाग लेंगे और दो दिवसीय पूजा के बाद बुधवार को पुन: नंदामूर्ति नंदाठोक की गुफाओं में विदा कर दी जाएगी।
कर्णप्रयाग: उधर विकासखंड कर्णप्रयाग के देवल रानीगढ़ स्थित देवराड़ी देवी मेले का तीन दिवसीय आगाज एक सितंबर से तीन सितंबर तक होगा। इस मौके पर देवराड़ी देवी मंदिर को सजाया गया है सुबह मेला कमेटी की ओर से देवी पूजन, ध्वजारोहण के साथ खेल प्रतियोगिताएं आयोजित होगी जबकि मुख्य अतिथि के सम्मान में शिक्षण संस्थाओं की ओर से कार्यक्रम भी रखा गया है। दो सितंबर को वॉलीबाल व रस्साकसी प्रतियोगिता के साथ रंगारंग कार्यक्रम व रात्रि बगड़वाल नृत्य का कार्यक्रम रखा गया है। तीन सितंबर को कार्यक्रम का समापन भंडारे व पुरस्कार वितरण के साथ होगा। मेला समिति के प्रदीप राणा, प्रेम देवली ने बताया कि मेले के सफल संचालन के लिए समितियों का गठन कर जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
उधर नंदाधाम नौटी में राजजात यात्रा के दौरान आयोजित देवीभागवत कथा के तीसरे दिन भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। इस मौके पर कथावाचक आचार्य विजयराम डिमरी ने नंदा देवी के महात्म्य से जुडी कथाओं का बखान कर कहा कि भागवत कथा श्रवण मात्र से जन्म-जन्मों के पापों का शमन होता है और मनुष्य को चाहिए कि गो, गंगा व गायत्री के जाप के साथ धार्मिक ग्रंथों का भी अध्ययन न भूले।