छंट नहीं रहे दुश्वारियों के बादल
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर : आपदा के 14 माह बाद भी मैड़ ठेली के ग्रामीणों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रशासन की अनदेखी के बाद ग्रामीणों की ओर से अस्थाई रूप से सुधारे गए क्षतिग्रस्त पैदल मार्ग टूटने से इस क्षेत्र के आठ से अधिक गांवों के लोग जान जोखिम में डालकर गांव तक पहुंच रहे हैं।
जून 2013 में आई आपदा से ठेली, मैड़, धारकोट समेत आठ अन्य गांवों तक पहुंचने का एकमात्र जरिया पैदल मार्ग पूरी तरह से तहस नहस हो गया था। 12 से अधिक स्थानों पर इस पैदल मार्ग के क्षतिग्रस्त होने के बाद आपदा के दौरान ग्रामीण कई दिनों तक गांव में ही कैद रहे। हालांकि बाद में प्रशासन से गुहार लगाई गई, लेकिन प्रशासन ने आज तक ग्रामीणों की इस समस्या की ओर देखा तक नहीं है। प्रशासन की अनदेखी के बाद दो माह पूर्व ग्रामीणों ने श्रमदान कर अस्थाई रूप से क्षतिग्रस्त पैदल मार्गो की मरम्मत की थी, लेकिन बारिश के बाद सुधारे गए क्षतिग्रस्त पैदल मार्ग फिर से टूट गए हैं। लिहाजा एक बार फिर से इन गांवों में आपदा जैसी स्थिति आ गई है। ठेली के ग्राम प्रधान सुरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि 14 महीनों से लगातार पैदल मार्ग सुधारने की मांग प्रशासन से की जा रही है, लेकिन प्रशासन के कानों पर अभी तक जूं तक नहीं रेंग रही है। धारकोट के प्रधान लकेश तोपाल का कहना है कि यदि प्रशासन शीघ्र ही क्षतिग्रस्त पैदल मार्गो की मरम्मत के लिए धनराशि आवंटित नहीं करता है तो क्षेत्र के सभी गांवों की जनता को साथ लेकर प्रशासन के खिलाफ आंदोलन छेड़ा जाएगा।