अन्य देवता भी कैलाश यात्रा पर
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: लाता की मां नंदा देवी जब सारतोली पड़ाव में पहुंची तो बेसब्री से मां का इंतजार कर रहे नंदा भक्तों के जागरों व नंदा गीतों से पूरा क्षेत्र नंदामय हो गया। मां नंदा की यह डोली सेनकुड़ा से 16 किलोमीट की पैदल दूरी तय कर सारतोली पड़ाव में पहुंची। यहां पर रात्रि जागरण के बाद सोमवार को मां की डोली झींझी पड़ाव के लिए प्रस्थान करेगी।
लाता गांव की 64 मुखी नंदा देवी की डोली 88 साल बाद राजजात यात्रा में शामिल हो रही है। डोली के साथ चल रहे लक्ष्मण सिंह नेगी का कहना है कि जहां जहां से मां की डोली गुजर रही है वहीं लोगों में उत्साह व आस्था की लहर भी नजर आ रही है। इधर, चमोली जिले के अन्य क्षेत्रों से भी देवी-देवताओं की छंतोलियां गांवों में भ्रमण कर भक्तों को आशीर्वाद देते हुए धीरे धीरे हिमालय की ओर रवाना हो रहे हैं। स्वर्का गांव के केदारू देवता की छंतोली ने मंगरोली समेत अन्य गांवों में पहुंचकर भक्तों को आशीर्वाद दिया।
कपीरी पट्टी की 15 ग्राम सभाओं की 12 थानी छंतोलियों में से एक छंतोली भी हिमालय के लिए रवाना हो गई है। इस डोली के साथ कर्णप्रयाग के विधायक डॉ.अनुसूया प्रसाद मैखुरी भी लक्ष्मीनारायण मंदिर किमोली पहुंचे। रविवार को यह छंतोली किमोली में पूजा अर्चना के बाद मोली गांव पहुंची। कपीरी निवासी गोविंद सिंह रावत ने बताया कि यहां से बांतोली, घाट होते हुए अन्य डोलियों के साथ कपीरी पट्टी की डोली रामणी में मिलन करेगी। रविवार को किरुली बंड भूम्याल मंदिर में बंड क्षेत्र के सभी गांवों की छंतोलियां पहुंचेंगी।
सोमवार को बंड भूम्याल देवता की अगुवाई में सभी छंतोलियां कैलाश के लिए रवाना होंगी। ज्यूंरागली में बंड भूम्याल ही सभी देवी देवताओं के आगे जाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। क्षेत्रपाल की नंदा देवी की छंतोली भी भूमियाल देवता, बाऊ देवता व लाटू देवता की छंतोलियों के साथ कैलाश यात्रा पर निकल गई है।