मोल के पानी से प्यास बुझाएंगे यात्री
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: इस वर्ष भी बदरीनाथ धाम व हेमकुंड साहिब आने वाले तीर्थयात्रियों को बाजार से पानी खरीदकर प्यास बुझानी पड़ेगी। यात्रा पड़ावों पर पेयजल योजनाएं व हैंडपंप सुधारने के लिए विभाग को करोड़ों की राशि अवमुक्त हुई है मगर कछुआ चाल के चलते धनराशि विभागीय खातों की शोभा बढ़ा रही है।
गौचर से लेकर बदरीनाथ तक के सभी यात्रा पड़ावों पर पानी की पहले से कमी बनी हुई है। 2013 की आपदा में पड़ावों पर क्षतिग्रस्त हुई योजनाओं को विभाग अभी नहीं सुधार पाया है। जबकि क्षतिग्रस्त पेयजल योजनाओं को सुधारने व हैंडपंप मरम्मत के लिए विभाग के खाते में नौ करोड़ रुपए पड़े हुए हैं। यात्रा से ठीक पहले जोशीमठ, कर्णप्रयाग, गोपेश्वर व गौचर में पेयजल संकट ने विभाग की मुसीबत और बढ़ा दी है। यात्रा मार्ग के प्रमुख पड़ाव लामबगड़ में क्षतिग्रस्त पेयजल योजना पर अभी तक कार्य शुरू नहीं हो पाया है। यात्रा पड़ावों पर पेयजल योजनाओं का निर्माण न होने से तो यही लग रहा है कि इस बार भी स्थानीय लोगों के साथ-साथ तीर्थयात्रियों को भी बाजार के पानी पर निर्भर रहना पड़ेगा।
रिमुवल किट तक नहीं लगे
-यात्रा रूट पर तीर्थयात्रियों को पानी उपलब्ध कराने के लिए विभाग ने हैंडपंप लगाए हैं। कुछ हैंडपंप खराब हैं तो कई जहरीला पानी उगल रहे हैं। इन हैंडपंपों से स्वच्छ पानी पिलाने के लिए विभाग के पास रिमुवल किट लगाने की व्यवस्था होती है मगर विभाग ने अभी तक खराब हैंडपंपों पर किट लगाने की प्रक्रिया ही शुरू नहीं की है।
सूखी हैं टंकियां
-यात्रा मार्ग पर यात्रियों को पानी पिलाने के लिए जल संस्थान ने टंकियों का भी निर्माण किया है। कर्णप्रयाग, चमोली, पीपलकोटी आदि स्थानों पर टंकियों को तो बाहर से रंग रोगन कर चमका दिया गया है, मगर इन टंकियों के अंदर पानी की एक बूंद तक नहीं है।
इन पड़ावों पर है अस्थाई चालू पेयजल योजनाएं
-चमोली, बिरही, गोविंदघाट, पांडुकेश्वर
यहां है जल संकट
-गौचर, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, चमोली, गोपेश्वर, पीपलकोटी, जोशीमठ, पांडुकेश्वर, गोविंदघाट, बदरीनाथ
हैंडपंपों की स्थिति (गौचर से बदरीनाथ तक)
हैंडपंपों की संख्या- 20
खराब हैंडपंप- चार
हैंडपंप उगल रहे हैं जहर- आठ
यात्रा पड़ावों पर पानी की दिक्कत न हो, इसके लिए विभाग व्यवस्थाओं में जुटा हुआ है। बदरीनाथ में जल्द ही टीम भेजकर पेयजल व्यवस्था सुचारु की जाएगी।
जेपी जोशी, अधिशासी अभियंता जल संस्थान गोपेश्वर, चमोली।