हौसलों से रोशन किया गांव
हरीश बिष्ट, गोपेश्वर: तंत्र की नाकामी को कोसने के बजाए ग्रामीणों ने अपने हौसलों की बदौलत अंधेरों को उजाले में बदल दिया है। प्राकृतिक आपदा के बाद जब उर्गम घाटी का संपर्क देश-दुनिया से कट गया। ठीक उसी दौरान इस गांव को रोशन करने वाली विद्युत लाइन भी टूटने से गांव में अंधेरा छा गया, लेकिन यहां के ग्रामीणों ने प्रशासन व विभाग का मुंह ताकने के बजाए खुद क्षतिग्रस्त लाइन पर तार जोड़ने शुरू किए। टूटे पोलों को खड़ा किया। आज भले ही इस घाटी में आने-जाने के मार्ग नहीं रह गए हैं, लोग गांवों में कैद हैं। मगर आपदा की इस घड़ी में गांव में लगातार विद्युत आपूर्ति ग्रामीणों के लिए किसी सहारे से कम नहीं है।
16-17 जून को भीषण बारिश से हेलंग उर्गम सड़क पर हेलंग पुल के अलावा कल्पेश्वर व खबाला पुल भी बह गए। सड़क पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। जिसके बाद उर्गम घाटी के बड़गिंडा, भेंटा, पिलखी, ग्वांणा, उरोसी, सलना, देवग्राम, भर्की, भेंटा का संपर्क देश-दुनिया से कट गया। साथ ही विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त होने से गांवों में अंधेरा पसर गया। कुछ दिनों तक तो ग्रामीण प्रशासन की राह ताकते रहे। 20 जून को ऊर्जा निगम के कर्मचारी तार लेकर क्षेत्र के लिए रवाना भी हुए। मगर हेलंग में जहां तक सड़क थी वहां सड़क किनारे तारों का बंडल छोड़कर वापस लौट आए। तीन दिन तक ये तार सड़क किनारे ही पड़े रहे और गांव में अंधेरा छाया रहा। तंत्र की इस नाकामी पर ग्रामीणों ने हार नहीं मानी। 24 जून को प्रत्येक गांव से 5-10 ग्रामीण हेलंग पहुंचे। यहां से तारों का बंडल उठाया और शुरू कर दिया क्षतिग्रस्त लाइन को सुधारने का कार्य। दो दिनों में भर्की भेंटा तक लाइन सुधारी गई। मगर उसके बाद अन्य गांवों तक लाइन पहुंचाने में अलकनंदा व कल्पगंगा रोड़ा बनी। ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी और रस्सी के सहारे तारों को आर पार किया। उसके बाद खबाला, सलना, बड़गिंडा में उखड़े पोलों को खड़ा किया और क्षतिग्रस्त विद्युत लाइन को सुधारने में कामयाबी पाई। ग्रामीणों की ही मेहनत का परिणाम है कि आज आपदा के बावजूद उर्गम घाटी के सभी नौ गांव विद्युत सुविधा से रोशन हैं।
भेंटा-भर्की गांव के लक्ष्मण सिंह नेगी कहते हैं कि 1984 में जब पहली बार उर्गम घाटी में विद्युत लाइन पहुंची तब यहां के लोगों में जो उत्साह था, आपदा के बाद ग्रामीणों ने जब क्षतिग्रस्त लाइन सुधारी तो ठीक वैसा ही उत्साह दिख रहा है। बड़गिंडा के ग्रामीण चंद्रप्रकाश पंवार व भेंटा के दर्शन सिंह चौहान कहते हैं कि विभाग ने विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त होने के बाद तार सड़क पर फेंक दी थी। अगर हम भी कुछ नहीं करते तो शायद आज अन्य स्थानों की तरह हमारे गांव भी अंधेरे में ही रहते।
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