बारिश का कहर, चार मकान ध्वस्त
-दो मवेशी मलबे में दफन
- दीवार तोड़कर शिशु मंदिर के कमरों में घुसा मलबा
- स्कूल खुला होता तो हो जाती सुमगढ़ हादसे की पुनरावृत्ति
संवाद सूत्र, गरुड़ : गरुड़ में भारी वर्षा ने व्यापक तबाही मचाई। वर्षा से चार मकान ध्वस्त हो गए। एक गोशाला के जमींदोज होने से दो मवेशी जिंदा दफन हो गए। कई दुकानों में भी मलबा घुस गया। सरस्वती सिमरखेत में दीवारों को तोड़ते हुए मलबा कक्षा कक्षों में घुस गया। इससे स्कूल के अभिलेख और फर्नीचर मलबे में दब गए हैं। यदि स्कूल खुला होता तो 18 अगस्त 2010 को हुए सुमगढ़ विद्यालय के हादसे की पुनरावृत्ति हो जाती।
सोमवार की सुबह हुई मूसलाधार वर्षा ने जमकर कहर बरपाया। तहसील के आणागांव में कुंदन सिंह व बसंत सिंह के मकान ध्वस्त हो गए। गैरलेख निवासी महेश चन्द्र की गोशाला के ध्वस्त होने से एक बैल और एक गाय की मौत हो गई। द्योरड़ा गांव में खीमानंद जोशी के मकान में मलबा आने से सभी सामान दब गया। मकान के खतरे में आने से परिवार के सदस्यों ने अन्यत्र शरण ले ली है। बारिश का पानी गरुड़ बाजार में मोहनदा, देवेन्द्र खंपा, ख्याली राम, हरीश जोशी सहित आसपास की दुकानों में घुस गया। इससे व्यापारियों को भारी क्षति हुई है।
टुनिया गधेरे का नाला उफनाने से सरस्वती शिशु मंदिर सिमरखेत में मलबा घुस गया। भारी मात्रा में मलबा विद्यालय भवन के पीछे की दीवारों से अंदर घुसा और दरवाजों को तोड़ता हुआ बरामदे से बाहर निकल गया। सुबह स्कूल पहुंचने पर वहां के नजारे देखकर लोगों में भय छा गया। यदि यह घटना स्कूल खुलने के बाद हुई होती तो सुमगढ़ हादसे की पुनरावृत्ति हो जाती। परंतु रात्रि में मलबा घुसने से बड़ा हादसा टल गया। पिछले वर्ष भी भूस्खलन से विद्यालय को क्षति पहुंची थी। विद्यालय के प्रधानाचार्य कुंडल ंिसह नेगी ने बताया कि पिछले वर्ष हुई क्षति का अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। इधर ग्रामीणों ने प्रशासन से विद्यालय भवन और परिसर की सुरक्षा के आवश्यक प्रबंध किए जाने की मांग की है।