स्वतंत्रता सेनानियों के गांव को है सड़क का इंतजार
गरुड़ (बागेश्वर) : देश की आजादी के लिए जिन रणबांकुरों ने अपने प्राणों की बाजी लगाई, उसे सरकार भुला चुकी है। देश को आजाद हुए 68 वर्ष बीत गए परंतु स्वतंत्रता सेनानियों के गरुड़ के गांवों को अब तक सड़क की सुविधा भी नहीं मिली।
गरुड़ तहसील के मटेना, सिल्ली, बण्ड, जिनखोला आदि गांवों को स्वतंत्रता सेनानियों का गांव होने का गौरव प्राप्त है। इन गांवों के कई सेनानियों ने स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका निभाई थी। लेकिन आजादी के छह दशक बाद भी इन गांवों में सड़क सुविधा तक नहीं है। ग्रामीण इसके लिए लम्बे समय से मांग उठाते रहे परंतु उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। इन गांवों को सड़क सुविधा मिलने पर कनेड़ी, सेलखोला, भंडारीधार, बाड़ेश्वर, स्यालाटीट, कोटुली आदि गांवों को भी यातायात की सुविधा मिलेगी। विधानसभा व लोक सभा चुनावों में यहां पर प्रत्येक राजनैतिक दल के प्रत्याशी इस गांव की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करता है। परंतु जीतने के बाद उसे गांव की सुध तक नहीं रहती है। यातायात की सुविधा न होने के कारण यहां के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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- ये रहे हैं गांव के स्वतंत्रता सेनानी
1- दीवान सिंह नेगी, हरिदत्त खोलिया, अम्बा दत्त खोलिया, मनोरथ दूबे (सिल्ली गांव निवासी)
2- शिव दत्त त्रिपाठी, मोतीराम त्रिपाठी, पदमा दत्त तिवारी, प्रेमानंद खोलिया (मटेना निवासी)
3- हरक सिंह नेगी, शेर सिंह बोरा (जिनखोला निवासी)
4- कुंवर सिंह व बचे सिंह (बण्ड गांव निवासी)
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बाइपास का विकल्प हो सकती है सड़क
यदि स्वतंत्रता सेनानियों को जोड़ते हुए सड़क बनाई जाय तो यह गरुड़ बाजार के लिए बाइपास का विकल्प हो सकती है। लोहारी से इस सड़क को ढुकुरा के पास कनस्यारी वाली सड़क में मिलाया जा सकता है। इससे गरुड़ में बाईपास बनाने की मांग भी पूरी हो जाएगी। साथ ही कई गांवों को यातायात की सुविधा भी मिल जाएगी।