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घर से भागे बसंत राम को 34वें बसंत में आई घर की याद

बागेश्‍वर में एक युवक 34 वर्ष बाद घर लौटा। माता-पिता को पहले यकीन नहीं हुआ, परंतु जब यकीन हुआ तो खुशी का ठिकाना नहीं है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 19 Feb 2017 03:26 PM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 06:50 AM (IST)
घर से भागे बसंत राम को 34वें बसंत में आई घर की याद
घर से भागे बसंत राम को 34वें बसंत में आई घर की याद

गरुड़, [जेएनएन]: तैंतीस वर्ष पूर्व घर से भाग गए बसंत राम को 34वें बसंत में घर की याद आ गई। इस बीच वह कई जगह भटका परंतु उसे पैतृक भूमि की याद वापस खींच लाई। घर पहुंचने पर माता-पिता को पहले यकीन नहीं हुआ, परंतु जब यकीन हुआ तो खुशी का ठिकाना नहीं है। इस बीच बसंत ने पानीपत से शादी भी कर ली।

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छटिया गांव निवासी पनी राम का पुत्र बसंत कुमार जब नौवीं कक्षा में पढ़ता था तो घर से भाग गया। नौकरी की तलाश में मेरठ पहुंच गया। वहां पहुंचने के कुछ दिनों बाद दंगे हुए तो घबरा गया तथा घर में पत्र लिख डाला कि यहां दंगे हो रहे हैं कुछ भी हो सकता है। इसके बाद चिट्ठी संदेश सब बंद हो गए। रेडियो से घर वालों को मेरठ में कई लोगों के मरने की सूचना मिली तो उनकी चिंता बढ़ गई।

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बसंत के नहीं लौटने पर परिजनों को धीरे-धीरे उसके जीवित होने की उम्मीद समाप्त हो गई, लेकिन शुक्रवार सुबह बसंत अचानक अपने घर पहुंचा तो घर वालों ने यकीन नहीं हुआ। जब उसने अपनी मां को कुछ बातें बताई तथा कान के पीछे का तिल दिखाया तो परिजनों का खुशी का ठिकाना न रहा। ग्रामीण भी बसंत से मिलने वहां पहुंच गए।

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जीवित होने की नहीं थी उम्मीद

पिता पनी राम व मां शांति देवी ने बताया कि उन्होंने बसंत की खोजबीन की। साथ ही जागर, पूछारियों से पता लगाया तो उन्होंने जीवित होने की उम्मीद ही नहीं बताई। जिस पर उन्होंने बसंत के जीवित होने की उम्मीद नहीं थी। पनी राम व शांति को उम्मीद है कि उसे बुढ़ापे का एक और सहारा मिल गया। बसंत तीन भाइयों में मंझला भाई है तथा उसकी एक बड़ी बहन भी है। बसंत की दो लड़कियां व एक पुत्र है।

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रात भर घास के ढेर में बिताई रात

बसंत ने बताया कि वह गुरुवार की रात्रि गरुड़ पहुंचा इसके बाद अपने घर आया तो घर नहीं पहचान नहीं पाया। जिससे डर गया तथा घास के ढेर में छिप गया। शुक्रवार की सुबह वह पता लगाकर राइंका वज्यूला पहुंचा तथा इसके बाद अपने घर का अनुमान लगाकर वहां पहुंचा। वर्तमान में बसंत पिथौरागढ़ में प्लंबर का कार्य करता है तथा परिवार वहीं रहता है। शीघ्र ही वह अपने परिवार के साथ गांव आएगा।

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